ग्राम पंचायत सहायकों की दुर्दशा: मेधावी छात्रों के शोषण की कहानी” Earnest Problem ??

Chirag Rathi
Chirag Rathi - Content writer
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ग्राम पंचायत सहायकों की दुर्दशा: मेधावी छात्रों के शोषण की कहानी" Earnest Problem ??

ग्राम पंचायत सहायकों की दुर्दशा: मेधावी छात्रों के शोषण की कहानी" Earnest Problem ??

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तो अब सवाल बनता है की ऐसा क्यों?तो चलो इसका जवाब आपको मैं  देता हु, अगर अपने इसकी भर्ती प्रक्रिया पर गौर करी  हो तो आपको जानकारी होगी की , पंचायत सहायक के रूप में उनको रखा जाता है जो ग्राम पंचायत के मेधावी छात्र होते है। ओर जैसा आपको बताया गया की उनकए जिम्मे करीब 242  काम होते है , ओर सारी सरकारी नौकरी वाली हिदायते होती है जैसे आप इसके दौरान अपनी आगे की पढ़ाई को निरन्तरता से चालू नहीं रख सकते, आपको 10 से 5 तक अपने पंचायत ऑफिस में बैठना है , अपने फोटो के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करानी है  और तमाम ऐसी हिदायते जिनसे आपको लगे की आप एक सरकारी नौकरी कर रहे है।अब आप सोच रहे होंगे की तो इसमे खामी क्या है? तो इसमें तकलीफ यह है की जब सब कुछ सरकारी नौकरी जैसा है तो फिर मानदेय , एक मानरेगा मजदूर से भी काम क्यों है?

ग्राम पंचायत सहायकों की दुर्दशा: मेधावी छात्रों के शोषण की कहानी” Earnest Problem 

Breaking News : वैसे तो हाल ही में आई पंचायत नामक वेब सीरीज से आप सभी परिचित होंगे , तो इसी कड़ी में आज हां बात करते है इसी से जुड़ी हुई एक महत्वपूर्ण कड़ी ग्राम पंचायत सहायक की।

ग्राम पंचायत सहायक :- ग्राम पंचायत सहायक , पंचायत की वह कड़ी होती है जिसके कंधों पर पंचायत के तमाम बड़े छोटे काम होते है ।जिनमे आयुष्मान कार्ड बनाना , पेंशन के लिए गाव में घूम कर सत्यापन करना , ब्लॉक के काम करना ओर इनके जैसे कुल मिलकर करीब  242 से भी ज्यादा  काम ओर सिर्फ पंचायत के ही काम नहीं बल्कि कृषि विभाग ,स्वास्थ्य विभाग आदि विभागों के काम भी बिना किसी अतिरिक्त मानदेय के करवाए जाते है । यानी ये कहा जा सकता है की ग्राम पंचायत सहायक के बिना ग्राम पंचायत को सुचारु रूप से चला पाना बेहद मुश्किल है।

कैसे बनते है ग्राम पंचायत सहायक:- यह भर्ती 2021 के जुलाई में योगी सरकार द्वारा लाई गई थी। इसके अंतर्गत उन छात्रों/छात्र को पंचायत सहायक के रूप में रखा जाता था  जो गाव का सबसे मेधावी छात्र होता था । ओर इस योजना में करीब 58 हजार ग्राम पंचायत सहायक बने  है ओर इस योजना का जिक्र योगी जी बहुत गोरवान्वित महसूस करते हुए ,अक्सर अपने भाषणों में करते हुए दिखाई दे जाते है।ओर जब रोजगार को लेकर उनसे सवाल किया जाता है तो इस योजना का बखान बहुत दिलचस्पी के साथ करते दिखते है ।

मगर अब सवाल ये है की क्या ये योजना वाकई ,सरकार को गोरवान्वित महसूस कराने लायक है? क्या इस योजना पर उन छात्रों को फ़क्र महसूस होता है जिन मेधावी छात्रों को ये काम दिया गया है ? 

तो इनका जवाब है :- नहीं 

तो अब सवाल बनता है की ऐसा क्यों?

तो चलो इसका जवाब आपको मैं  देता हु, अगर अपने इसकी भर्ती प्रक्रिया पर गौर करी  हो तो आपको जानकारी होगी की , पंचायत सहायक के रूप में उनको रखा जाता है जो ग्राम पंचायत के मेधावी छात्र होते है। ओर जैसा आपको बताया गया की उनकए जिम्मे करीब 242  काम होते है , ओर सारी सरकारी नौकरी वाली हिदायते होती है जैसे आप इसके दौरान अपनी आगे की पढ़ाई को निरन्तरता से चालू नहीं रख सकते, आपको 10 से 5 तक अपने पंचायत ऑफिस में बैठना है , अपने फोटो के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करानी है  और तमाम ऐसी हिदायते जिनसे आपको लगे की आप एक सरकारी नौकरी कर रहे है।

अब आप सोच रहे होंगे की तो इसमे खामी क्या है? तो इसमें तकलीफ यह है की जब सब कुछ सरकारी नौकरी जैसा है तो फिर मानदेय , एक मानरेगा मजदूर से भी काम क्यों है?

आपको यह जानकार हैरानी होगी की जहा एक मानरेगा मजदूर को 237 रुपये एक दिन के मिलते है वहा गाव के सबसे मेधावी छात्रों में से एक, पंचायत सहायक को 200 रुपये दिए जाते है अब आप खुद सोचिए की क्या 6000 रुपये प्रतिमाह किसी भी व्यक्ति के महीने के खर्च के लिए किसी भी सूरत में पर्याप्त हो सकते है। 

और इन 6000 रुपये में घर का खर्च ,स्टेशनरी का खर्च ,महीने में 5 6 बार ब्लॉक में आने जाने का खर्च ,साथ में महीने के अंदर एक बार जिला कार्यालय में आने जाने का खर्च।

और इस कड़ी में ये जानना भी बेहद दिलचस्प है की ये 6000 रुपये सरकार, ग्राम पंचायत के खाते में  डालती है जिसको ग्राम पंचायत ओर ग्राम सचिव के अलावा कोई  नहीं निकाल सकता। जिसको देने में ग्राम प्रधान ओए सचिव आना कानी करते है, जिसके चलते ग्राम पंचायत सहायक का शोषण होता है और वक्त पर पैसा नहीं मिल पता , कई  बार तो पेमेंट को कई कई महीनों तक अटकाया जाता है। अब जरा आप सोचिए की यक पंचायत सहायक को घर चलना कितना मुश्किल होता होगा। यानि पहले तो सम्मानजनक मानदेय नहीं मिलता ऊपर से जितना मिलता है वो भी वक्त पर नहीं मिलता। जरा सोचिए की ये कितना हास्यास्पद है की 6000 रुपये देकर आप ये सोचते हो की व्यक्ति इनमे से अपना घर खर्च भी निकाल ले ओर बचत भी करके रखे की आने वाली सेलरी पता नहीं अगले महीने मिलेगी भी या नहीं।

अगर इसी कड़ी में हम अन्य राज्यों में पंचायत सहायकों की तनख्वा की बात करे तो किसी में 15 हजार है यह तक की कई राज्यों में तो 21 हजार तक है । ओर जिस राज्य के मुख्यमंत्री प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन बनाने की बात करते है वहा महज 6000 रुपये कहा तक जायज ।

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अब समझ नहीं आता की इस योजना पर हमारे योगी जी कैसे गोरवान्वित महसूस कर सकते है

महज मंचों से भाषण देकर अर्थव्यवस्था नहीं सुधारी जा सकती,उसके लिए आपको प्रतिव्यक्ति आय को एक सम्मानजनक स्थिति में लाकर खड़ा करना होगा। और जिस योजना के तहत आप सबसे ज्यादा रोजगार देने की बात करते हो उस योजना में कई सुधार करने होंगे ।

ग्राम पंचायत सहायक को एक उचित ओर सम्मानजनक मानदेय देना होगा, क्योंकि वही लोग है जो ग्राम पंचायत को सुचारु रूप से चलाने का काम करते है। ओर गाव के मेधावी छात्रों के हौसलों को बुलंद करने के बजाए आप जो इनके अंदर निराशा भर रहे है उस पर रोक लगानी होगी । सरकार से उम्मीद है इस विषय पर ध्यान दे और पंचायत सहायकों की स्तिथि को सुधारने का काम करे।

 

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