कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया
Delhi News : कैप्टन अंशुमान सिंह, जिन्होंने जुलाई 2023 में कर्तव्य निभाते हुए अपने प्राणों की आहुति दी, को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। उनकी विधवा, स्मृति सिंह, ने यह सम्मान स्वीकार करते हुए अपने पति के साथ बिताए आखिरी पलों को याद किया।
भविष्य की योजनाओं और दुख की कहानी
स्मृति सिंह ने बताया, “हमने 18 जुलाई को लंबी बातचीत की थी और 19 जुलाई को हमें पता चला कि वह अब हमारे बीच नहीं हैं।” स्मृति ने अपने पति के साथ बिताए पलों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपने भविष्य के बारे में बात की थी, जिसमें घर बनाना और बच्चों की योजना शामिल थी।
प्रेम कहानी और शादी
स्मृति ने अपनी प्रेम कहानी को याद करते हुए कहा, “हम पहली बार कॉलेज के पहले दिन मिले थे। यह पहली नजर का प्यार था। एक महीने बाद, अंशुमान को सशस्त्र बल चिकित्सा कॉलेज (AFMC) में चयनित कर लिया गया। हम एक इंजीनियरिंग कॉलेज में मिले थे, और वह एक मेडिकल कॉलेज में चयनित हो गए। वह बहुत ही बुद्धिमान व्यक्ति थे।” उन्होंने बताया कि उनकी लंबी दूरी की रिश्तेदारी आठ साल तक चली और फिर उन्होंने शादी करने का फैसला किया। फरवरी 2023 में उनकी शादी हुई थी।
आखिरी बातचीत
स्मृति ने बताया, “18 जुलाई को हमने लंबी बातचीत की थी कि अगले 50 सालों में हमारी जिंदगी कैसी होगी — हम घर बनाएंगे, बच्चे होंगे, और बहुत कुछ। 19 जुलाई की सुबह, मुझे एक कॉल आया कि वह अब नहीं रहे।” यह कहते हुए उनकी आवाज भर आई।
परिवार की पीड़ा
स्मृति ने बताया, “पहले 7-8 घंटे, हम यह स्वीकार नहीं कर पाए कि ऐसा कुछ हुआ है। आज तक, मैं इसे स्वीकार नहीं कर पा रही हूं। बस यह सोचने की कोशिश कर रही हूं कि शायद यह सच नहीं है। लेकिन अब जब मेरे हाथ में कीर्ति चक्र है, तो मुझे एहसास होता है कि यह सच है। लेकिन कोई बात नहीं, वह एक हीरो हैं। हम अपनी जिंदगी का थोड़ा सा प्रबंधन कर सकते हैं क्योंकि उन्होंने बहुत कुछ प्रबंधित किया है। उन्होंने अपनी जान और परिवार को त्याग दिया ताकि अन्य तीन सेना परिवारों को बचाया जा सके।”
साहस और बलिदान
कैप्टन अंशुमान सिंह ने अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना, सियाचिन में एक बड़े आगजनी घटना में कई लोगों को बचाने के लिए असाधारण बहादुरी और संकल्प का प्रदर्शन किया। जुलाई 2023 में, एक शॉर्ट सर्किट ने सियाचिन में एक भारतीय सेना के गोला-बारूद डंप में आग लगा दी। इस अफरातफरी के बीच, कैप्टन सिंह ने फाइबर-ग्लास झोपड़ी में फंसे साथी सैनिकों को बहादुरी से बचाया। जब आग पास के चिकित्सा जांच शेल्टर तक फैल गई, तो कैप्टन सिंह ने जीवनरक्षक दवाओं को पुनः प्राप्त करने का साहसी प्रयास किया। दुर्भाग्यवश, उन्हें गंभीर जलन हुई और उन्होंने अपने घावों के कारण दम तोड़ दिया।
मरणोपरांत सम्मान
कैप्टन अंशुमान सिंह को उनके वीरतापूर्ण कार्य के लिए मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, जो सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर हैं, ने यह सम्मान प्रदान किया।
कैप्टन अंशुमान सिंह की कहानी न केवल उनके साहस और बलिदान की गाथा है, बल्कि यह उनके परिवार के अटूट प्रेम और समर्पण की भी कहानी है। उनकी विधवा स्मृति सिंह की यादें और उनके शब्द हमें यह सिखाते हैं कि सच्चे हीरो कभी नहीं मरते, वे हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहते हैं।