Greater Noida West : नोएडा के सूरजपुर जिला मुख्यालय पर भारतीय किसान यूनियन (अंबावता) के कार्यकर्ताओं ने एडीएम नितिन मदान को राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन राष्ट्रीय अध्यक्ष रिशिपाल अंबावता के आदेशानुसार सौंपा गया, जिसमें किसानों की विभिन्न समस्याओं को उजागर किया गया है। ज्ञापन सौंपने के दौरान जिला अध्यक्ष अनिल नागर और दादरी तहसील अध्यक्ष राजकुमार रूपबास के नेतृत्व में कई कार्यकर्ता उपस्थित थे।
किसानों की मुख्य मांगें
ज्ञापन में किसानों ने कई महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं, जिनमें यें माँग प्रमुख हैं
🔸 130 मीटर रोड कनेक्टिविटी: 130 मीटर रोड को केएमपी पेरीफेरल से कनेक्ट किया जाए।
🔸64 फीसदी रुका हुआ मुआवजा: किसानों का रुका हुआ मुआवजा जल्द से जल्द दिया जाए।
🔸गांवों में विकास कार्य: जिन गांवों की प्रधानी खत्म हो गई है, वहां विकास कार्य कराए जाएं।
🔸 आवारा पशुओं की समस्या: आवारा पशुओं के कारण फसल बर्बाद हो रही है, इनकी व्यवस्था की जाए।
🔸कर्ज माफी: पूरे भारत में किसानों का कर्ज माफ किया जाए।
🔸बिजली बिल माफी: नलकूप का बिजली बिल माफ किया जाए।
🔸पेंशन योजनाएं: बुढ़ापा पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन पूरे भारत में एक समान की जाए।
60 मीटर रोड निर्माण की मांग
भारतीय किसान यूनियन (अंबावता) के जिला अध्यक्ष अनिल नागर के नेतृत्व में ग्रेटर नोएडा के जिलाधिकारी को 16 साल से लंबित 60 मीटर रोड के निर्माण के संबंध में ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की लापरवाही पर गहरी चिंता व्यक्त की गई और जल्द से जल्द इस मुद्दे के समाधान की मांग की गई।
अधूरी परियोजना और ग्रामीणों का आक्रोश
ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट 130 मीटर रोड को दादरी तहसील के उत्तरी-पश्चिम क्षेत्र में स्थित बादलपुर से 60 मीटर रोड का निर्माण, जो ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे से जुड़ना है, अभी भी अधूरा है। इस मार्ग का अधिग्रहण वर्ष 2008 में प्रभावित काश्तकारों को प्रतिकर देने के बाद से ही लंबित है। इसके बावजूद, ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा अब तक इस रोड का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया है।
सोशल मीडिया और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी
इस मुद्दे को कई बार सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया, स्थानीय सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से उठाया गया है। परिवहन मंत्रालय और माननीय नितिन गडकरी तक भी यह मामला पहुंचाया गया है। जन आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमवीर सिंह आर्य एडवोकेट, सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों ने इस रोड के निर्माण की मांग को बार-बार दोहराया है। बावजूद इसके, ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
ग्रामीणों में बढ़ता आक्रोश
ज्ञापन में बताया गया कि इस रोड के अधूरे निर्माण के कारण आसपास के ग्रामीणों में काफी रोष और आक्रोश है। प्रभावित ग्राम महावड, बंबावड़, इस्लामाबाद कल्दा आदि के किसानों और काश्तकारों ने चेतावनी दी है कि यदि 130 मीटर रोड का निर्माण जल्द से जल्द शुरू नहीं हुआ, तो वे बड़ा आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
सरकार के दिशा-निर्देशों की अनदेखी
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए थे कि वे अपनी नीतियों के अनुसार समयबद्ध प्रक्रिया अपनाते हुए निर्धारित समय में प्रभावित अधिग्रहित भूमि का विस्तार करें और विकास कार्य सुनिश्चित करें। लेकिन प्राधिकरण ने इन दिशा-निर्देशों की अनदेखी की है, जिससे ग्रामीणों और किसानों की समस्याएं बढ़ गई हैं।
ज्ञापन की प्रमुख मांगें
1. 60 मीटर रोड का निर्माण: ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत भूमि पर 60 मीटर रोड का निर्माण जल्द से जल्द शुरू किया जाए।
2. समयबद्ध प्रक्रिया: प्रभावित ग्रामों से निकलने वाले इस मार्ग को समयबद्ध प्रक्रिया अपनाते हुए जल्द पूरा किया जाए।
130 मीटर सड़क परियोजना: एक महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण
ग्रेटर नोएडा में 130 मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण और जीटी रोड से ईस्टर्न पेरीफेरल रोड तक इसे जोड़ने की परियोजना शहर के विकास और भविष्य की दृष्टि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह परियोजना न केवल यातायात की सुविधा को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी एक नई ऊर्जा का संचार कर सकती है।
परियोजना की शुरुआत और समाजिक संगठनों की भागीदारी
इस महत्वपूर्ण परियोजना की शुरुआत से लेकर अब तक, समाजिक संगठनों, जनआंदोलन संगठनों और किसान संगठनों ने मिलकर राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि इस मुद्दे को प्राथमिकता दी जाए। इस पहल के पीछे एक स्पष्ट तर्क है—वर्तमान में ग्रेटर नोएडा और अन्य आसपास के क्षेत्रों में ट्रैफिक जाम, यातायात की भीड़-भाड़ और अधूरी सड़क नेटवर्क की समस्याएं लगातार बनी हुई हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए 130 मीटर चौड़ी सड़क के निर्माण और जीटी रोड से ईस्टर्न पेरीफेरल रोड को जोड़ने की परियोजना एक दीर्घकालिक समाधान प्रस्तुत कर सकती है।
सांसद जी की पहल और प्रशासनिक प्रक्रिया
हाल ही में, गौतमबुद्धनगर के सांसद महेश शर्मा ने भी इस परियोजना की प्राथमिकता को लेकर जोर दिया और भारत सरकार के परिवहन मंत्री को पत्र लिखा। सांसद की यह पहल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दर्शाती है कि स्थानीय प्रतिनिधि इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हैं और इसे केंद्रीय स्तर पर उठाने की कोशिश कर रहे हैं। परिवहन मंत्री ने इस पत्र का जवाब भी भेजा और अपने अधिकारियों को इस परियोजना पर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।
धीमी प्रगति और निराशा
हालांकि, इस सारे प्रशासनिक प्रक्रिया के बावजूद, अब तक किसी ठोस कार्रवाई या कागज़ी प्रक्रिया की शुरुआत नहीं हो पाई है। यह स्थिति निराशाजनक है, क्योंकि एक ओर जहां परियोजना की आवश्यकता और महत्व पर व्यापक सहमति है, वहीं दूसरी ओर इसके क्रियान्वयन में प्रगति की गति बेहद धीमी है।
इस संदर्भ में समाजिक संगठनों की लगातार सक्रियता और जनआंदोलनों की भागीदारी सराहनीय है। इन संगठनों ने अपनी मांगों को सार्वजनिक मंच पर रखने और प्रभावी ढंग से सत्ताधारी वर्ग तक पहुँचाने के लिए कई पत्र और विज्ञापन प्रकाशित किए हैं। इसके अलावा, किसान संगठनों की भी इस मुद्दे पर सक्रिय भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सड़क निर्माण परियोजना केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि एक व्यापक सामाजिक और आर्थिक परिवर्तक हो सकता है।
यातायात की बेहतर स्थिति, शहर के आर्थिक विकास के नए अवसर, और लोगों की जीवन गुणवत्ता में सुधार—ये सभी संभावनाएं इस परियोजना से जुड़ी हैं। लेकिन तब तक जब तक प्रशासनिक प्रक्रिया में तेजी लाने और इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक इस परियोजना का सपना पूरा नहीं हो सकता।
यह समय है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन गंभीरता से इस मुद्दे पर ध्यान दें और नागरिकों की अपेक्षाओं और प्रयासों को समझते हुए परियोजना को शीघ्रता से लागू करें। केवल इसी तरह से हम ग्रेटर नोएडा को एक बेहतर, सुरक्षित और सुव्यवस्थित शहर बना सकते हैं, जो न केवल आज बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक आदर्श बन सके।