Greater Noida News : यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध ने कई छात्रों के सपनों को अधूरा छोड़ दिया। ग्रेटर नोएडा के अस्तौली गांव की दो बहनें, आंचल और मोनिका, भी उन छात्रों में शामिल थीं जिन्हें अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई बीच में छोड़कर वापस आना पड़ा। युद्ध के कारण यूक्रेन में हालात सामान्य नहीं हो सके, जिससे इन बहनों को अपनी पढ़ाई के लिए नए विकल्प तलाशने पड़े।
कजाकिस्तान में मिली नई राह
काफी इंतजार के बाद, आंचल और मोनिका ने कजाकिस्तान के एक मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। भारत सरकार की ट्रांसफर नीति के तहत, दोनों बहनों ने कजाकिस्तान में अपनी बाकी की दो वर्ष की पढ़ाई पूरी की। 28 जून को दोनों बहनों को एमबीबीएस की डिग्री मिली और वे 6 जुलाई को वापस भारत लौटीं। उनके पिता विजेंद्र ने बताया कि दोनों बहनों ने अब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में पंजीकरण कराया है।
अतिरिक्त खर्च और चुनौतियाँ
आंचल और मोनिका के पिता ने बताया कि भारत में एमबीबीएस की पढ़ाई काफी महंगी है। यूक्रेन में पूरी फीस 50 लाख रुपये थी, जबकि कजाकिस्तान में पढ़ाई पूरी करने में छह लाख रुपये का अतिरिक्त खर्च आया। यह खर्च दाखिला शुल्क के रूप में लगा, लेकिन परिवार दोनों बेटियों की सफलता से काफी खुश है।
नए सिरे से शुरू करनी पड़ी पढ़ाई
देवटा गांव के तनुज भाटी और प्रीत भाटी भी यूक्रेन में एमबीबीएस करने गए थे, लेकिन युद्ध के कारण एक वर्ष की पढ़ाई करने के बाद वापस लौटना पड़ा। अब दोनों छात्र रूस के मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे हैं। हालांकि उनका एक साल बर्बाद हो गया। तनुज भाटी के पिता ऋषिपाल ने बताया कि उन्हें एमबीबीएस की पढ़ाई नए सिरे से शुरू करनी पड़ी।
परिवारों की खुशी और संतोष
इन सभी छात्रों के परिवारों के लिए यह समय काफी चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन अब जब उनके बच्चे अपनी डिग्री हासिल कर चुके हैं, तो वे काफी खुश और संतुष्ट हैं। आंचल और मोनिका के पिता विजेंद्र ने कहा, “हमारी बेटियों ने बहुत मेहनत की है और हम उनकी सफलता से बहुत खुश हैं।”
भविष्य की योजनाएँ
अब जब आंचल और मोनिका ने अपनी एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर ली है, वे अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में पंजीकरण करा लिया है और अब वे भारत में अपनी प्रैक्टिस शुरू करने की योजना बना रही हैं। तनुज और प्रीत भी अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने करियर को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी में हैं।
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध ने कई छात्रों के सपनों को अधूरा छोड़ दिया, लेकिन आंचल, मोनिका, तनुज और प्रीत ने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से इन चुनौतियों का सामना किया और अपनी पढ़ाई पूरी की। उनके परिवारों की खुशी और संतोष इस बात का प्रमाण है |