उत्तर प्रदेश की उड़ान: 8 सालों में 4 से 16 हुए एयरपोर्ट, एविएशन बजट में पांच गुना की रिकॉर्ड छलांग

Uttar Pradesh's flight: 4 to 16 airports in 8 years, aviation budget jumps by five times

Partap Singh Nagar
2 Min Read
उत्तर प्रदेश की उड़ान: 8 सालों में 4 से 16 हुए एयरपोर्ट, एविएशन बजट में पांच गुना की रिकॉर्ड छलांग

 

Uttar Pradesh News/ भारतीय टॉक न्यूज़: उत्तर प्रदेश में नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में एक नया युग शुरू हो चुका है। योगी आदित्यनाथ सरकार के नेतृत्व में राज्य में एविएशन सेक्टर ने ऐतिहासिक प्रगति दर्ज की है। आरटीआई के तहत नागरिक उड्डयन निदेशालय, उत्तर प्रदेश ने खुलासा किया है कि 2017 से पहले राज्य में केवल 4 एयरपोर्ट ऑपरेशनल थे, जबकि 2017 के बाद 12 नए एयरपोर्ट विकसित किए गए।

वर्तमान में 16 एयरपोर्ट सक्रिय हैं—लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, प्रयागराज, कानपुर, बरेली, हिंडन, कुशीनगर, अयोध्या, अलीगढ़, आजमगढ़, मुरादाबाद, श्रावस्ती, चित्रकूट और सहारनपुर। यह आंकड़े प्रदेश को उड्डयन विकास के राष्ट्रीय मानचित्र पर मज़बूती से स्थापित करते हैं।

 तीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट निर्माणाधीन

राज्य में सिर्फ चालू एयरपोर्ट ही नहीं, बल्कि तीन बड़े एयरपोर्ट निर्माणाधीन भी हैं, जो आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश की कनेक्टिविटी को नई ऊंचाई देंगे। इनमें नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर), म्योरपुर (सोनभद्र) और ललितपुर एयरपोर्ट शामिल हैं। नोएडा एयरपोर्ट को देश का सबसे बड़ा ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट माना जा रहा है, जो प्रदेश को वैश्विक एविएशन नेटवर्क से जोड़ेगा।

नागरिक उड्डयन बजट में पांच गुना इज़ाफा

सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं, सरकार ने बजट के स्तर पर भी रिकॉर्ड निवेश किया है। 2017-18 में जहां 67,260 लाख रुपये का बजट था, वहीं 2025-26 में यह बढ़कर 3,15,199 लाख रुपये हो गया। यह लगभग पांच गुना की वृद्धि को दर्शाता है।

महत्वपूर्ण वर्षों का बजट इस प्रकार है:

2018-19: ₹1,20,041 लाख

2019-20: ₹2,20,396 लाख

2020-21: ₹2,75,165 लाख

2022-23: ₹2,31,568 लाख

2024-25: ₹2,77,459 लाख

2025-26: ₹3,15,199 लाख

यह विस्तार ऐसे समय हुआ है जब कोविड-19 जैसी वैश्विक आपदा ने देशभर के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को प्रभावित किया था, बावजूद इसके यूपी सरकार ने एविएशन सेक्टर में कोई समझौता नहीं किया।

RTI के माध्यम से हुआ खुलासा

इस आरटीआई को नोएडा निवासी समाजसेवी डॉ. रंजन तोमर ने दायर किया था, जिनका उद्देश्य था—प्रदेश में नागरिक उड्डयन की प्रगति और योजनाओं की वास्तविक स्थिति को सार्वजनिक करना।

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