Greater Noida/ भारतीय टॉक न्यूज़: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने चुनावी प्रक्रिया में शुचिता और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के 115 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को अपनी सूची से हटा दिया है। इस कार्रवाई के दायरे में गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) में पंजीकृत पांच दल भी आए हैं। यह कदम उन दलों के खिलाफ उठाया गया है जो केवल कागजों पर मौजूद थे और चुनावी गतिविधियों में निष्क्रिय पाए गए।
चुनाव आयोग की इस राष्ट्रव्यापी मुहिम के तहत देशभर में कुल 334 दलों को सूची से बाहर किया गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, जिन 115 दलों को प्रदेश में हटाया गया है, उनमें गौतम बुद्ध नगर के हिंदुस्तान क्रांतिकारी दल, जन क्रांति समाज पार्टी, मदर इंडिया पार्टी, पश्चिम उत्तर प्रदेश विकास पार्टी, और राष्ट्रीय मजदूर किसान पार्टी शामिल हैं।
कार्रवाई का आधार और कारण
यह कार्रवाई उन दलों पर केंद्रित थी जिन्होंने वर्ष 2019 से लगातार छह वर्षों तक लोकसभा या विधानसभा का कोई चुनाव नहीं लड़ा। इसके अतिरिक्त, जब इन दलों के पंजीकृत पतों पर भौतिक सत्यापन किया गया, तो वे वहां मौजूद नहीं पाए गए।
आयोग ने जून 2025 में 345 दलों के सत्यापन के लिए जांच के निर्देश दिए थे। जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि 334 दल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29’बी’ और 29’सी’ के प्रावधानों का पालन नहीं कर रहे थे, जो कि दलों के पंजीकरण और योगदानों की रिपोर्टिंग से संबंधित हैं।
क्या होंगे परिणाम?
सूची से हटाए जाने के बाद, ये दल कई महत्वपूर्ण सुविधाओं और छूट से वंचित हो जाएंगे।
🔸आयकर छूट: इन्हें आयकर अधिनियम, 1961 के तहत मिलने वाली कर छूट का लाभ अब नहीं मिलेगा।
🔸 चुनाव चिह्न: ये दल चुनाव चिह्न (आरक्षण व आवंटन) आदेश, 1968 के तहत मिलने वाले स्थायी चुनाव चिह्न के अधिकार को खो देंगे।
देश में अब कितने दल?
इस कार्रवाई के बाद देश में पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की संख्या 2,854 से घटकर 2,520 रह गई है। वर्तमान में, देश में 6 राष्ट्रीय दल और 67 क्षेत्रीय दल पंजीकृत हैं।
अपील का अवसर
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि जो दल इस फैसले से असंतुष्ट हैं, वे आयोग के 9 अगस्त, 2025 के आदेश के खिलाफ 30 दिनों के भीतर मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष अपील दायर कर सकते हैं। आयोग का यह कदम यह सुनिश्चित करने का एक प्रयास है कि केवल गंभीर और सक्रिय राजनीतिक दल ही प्रणाली का हिस्सा बने रहें।