Greater Noida News/भारतीय टॉक न्यूज़: ग्रेटर नोएडा। ज्ञान और भविष्य के सपने लेकर बिहार से ग्रेटर नोएडा आए एक छात्र की जिंदगी अकादमिक दबाव और तनाव के बोझ तले दबकर रह गई। शारदा विश्वविद्यालय के बीटेक द्वितीय वर्ष के छात्र ने हॉस्टल के कमरे में पंखे से फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। छात्र के पास से एक मार्मिक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें उसने अपनी मौत के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन साथ ही देश की शिक्षा प्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। वहीं, परिवार ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर लापरवाही और फीस वसूलने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
क्या है पूरा मामला?
मामला नॉलेज पार्क-3 स्थित एचएमआर ब्वॉयज हॉस्टल का है। बिहार के पूर्णिया निवासी 24 वर्षीय शिवम डे शारदा विश्वविद्यालय में बीटेक कंप्यूटर साइंस का छात्र था। शुक्रवार की रात उसके रूममेट ने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद पाया। बार-बार खटखटाने पर भी जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो उसने हॉस्टल वार्डन को सूचित किया। मौके पर पहुंचे प्रबंधन ने दरवाजा तोड़ा तो अंदर का दृश्य देखकर सभी स्तब्ध रह गए। शिवम बेडशीट के सहारे पंखे से लटका हुआ था। उसे तत्काल कैलाश अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
सुसाइड नोट में छलका दर्द और व्यवस्था पर चोट
पुलिस को घटनास्थल से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें शिवम ने अपनी पीड़ा व्यक्त की है। उसने लिखा, “यदि आप यह पढ़ रहे हैं तो मैं मर चुका हूं। मेरी मौत मेरा अपना निर्णय है और इसके लिए कोई और जिम्मेदार नहीं है। पुलिस किसी को परेशान न करे।”
नोट में उसने आगे लिखा, “यह दुनिया मेरे लिए नहीं है या शायद मैं इसके लायक नहीं हूं। मैं बस बेकार हूं।” उसने विश्वविद्यालय से एक मार्मिक अपील भी की। उसने लिखा, “शारदा विश्वविद्यालय से विशेष निवेदन है कि मेरे द्वारा जमा की गई अनउपयोगित फीस मेरे माता-पिता को वापस कर दी जाए, क्योंकि मैंने दूसरे वर्ष के बाद कॉलेज ज्वाइन ही नहीं किया।”
शिक्षा प्रणाली पर टिप्पणी करते हुए उसने लिखा, “मैं ज्ञान नहीं, डिग्री चाहने वाला छात्र था… या शायद इस देश की शिक्षा प्रणाली के लायक ही नहीं था। अगर इस देश को महान बनना है, तो शिक्षा प्रणाली को सही करना होगा।” शिवम ने अपने अंग दान करने की इच्छा भी जाहिर की और तनाव सहन न कर पाने की बात कहकर अपने परिवार से माफी मांगी।
परिवार के आरोप और विश्वविद्यालय का स्पष्टीकरण
शिवम के पिता कार्तिक चंद्र डे ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि उनका बेटा अगस्त 2023 से ही कॉलेज नहीं जा रहा था क्योंकि कई विषयों में बैक आने के कारण दूसरे छात्र उसे परेशान करते थे। उन्होंने आरोप लगाया, “विश्वविद्यालय ने हमें कभी यह सूचित नहीं किया कि हमारा बेटा कक्षाओं में नहीं आ रहा है, लेकिन वे हमसे लगातार फीस लेते रहे।”
इस मामले पर शारदा विश्वविद्यालय के जनसंपर्क निदेशक डॉ. अजीत कुमार ने बताया कि शिवम का सीजीपीए (CGPA) तीसरे वर्ष में प्रमोशन के लिए आवश्यक मानदंड से कम था। उसे समर टर्म और विशेष परीक्षा के जरिए सुधार के कई अवसर दिए गए। मानदंड पूरा न होने पर उसे 40% शुल्क पर द्वितीय वर्ष में पुनः प्रवेश का विकल्प भी दिया गया। विश्वविद्यालय के अनुसार, शुल्क जमा होने के बावजूद शिवम ने सत्र 2024-25 के लिए खुद को पंजीकृत नहीं कराया था और न ही किसी कक्षा में शामिल हुआ। विश्वविद्यालय ने इस दुखद घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त की है।
पुलिस जांच में जुटी
एडीसीपी ग्रेटर नोएडा, सुधीर कुमार ने बताया कि प्राथमिक जांच में छात्र के अकादमिक दबाव के कारण तनाव में होने की बात सामने आई है। सुसाइड नोट में उसने किसी पर आरोप नहीं लगाया है। पुलिस सभी पहलुओं से मामले की गहन जांच कर रही है।