तिलपता का जाम और ऑटो चालकों की मनमानी, यात्रियों की जेब पर दोहरी मार

Tilpata's jam and auto drivers' arbitrariness, a double blow to the pockets of passengers

Partap Singh Nagar
3 Min Read
तिलपता का जाम और ऑटो चालकों की मनमानी, यात्रियों की जेब पर दोहरी मार

Greater Noida News / भारतीय टॉक न्यूज़:  सूरजपुर-दादरी रूट पर स्थित तिलपता और उसके आसपास लगने वाला भीषण जाम दैनिक यात्रियों के लिए किसी दोहरे अभिशाप से कम नहीं है। एक ओर जहां उन्हें घंटों जाम में फंसकर अपने गंतव्य तक पहुंचने में देरी होती है, वहीं दूसरी तरफ ऑटो चालकों की मनमानी उनकी जेब पर डाका डाल रही है। जाम का बहाना बनाकर ऑटो चालक निर्धारित किराए से डेढ़ से दोगुना तक वसूल रहे हैं, और इसका विरोध करने पर यात्रियों को बीच रास्ते में ही उतारने से भी नहीं हिचकते।

यह समस्या दादरी से सूरजपुर के बीच यात्रा करने वाले हजारों यात्रियों के लिए एक रोज की सिरदर्दी बन चुकी है। इस रूट का निर्धारित किराया 20 रुपये है, लेकिन तिलपता गोलचक्कर और उसके आसपास जाम लगते ही ऑटो चालकों की मनमानी शुरू हो जाती है। जाम में 30 मिनट से एक घंटा फंसने की स्थिति में चालक यात्रियों से 30 से 40 रुपये तक की मांग करने लगते हैं। किराया बढ़ाने को लेकर अक्सर यात्रियों और चालकों के बीच तीखी बहस होती है, जो कई बार मारपीट तक पहुंच जाती है।

यात्रियों का आरोप है कि चालक जाम में फंसे समय का हवाला देकर बढ़ा हुआ किराया मांगते हैं। जो यात्री इसका विरोध करता है या अतिरिक्त पैसे देने से इनकार करता है, उसे तिलपता में ही ऑटो से उतार दिया जाता है। ऐसे में, यात्रियों को, जिनमें दिहाड़ी मजदूर और कर्मचारी बड़ी संख्या में होते हैं, मजबूरी में तीन से चार किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर दादरी या अपने अगले गंतव्य तक पहुंचना पड़ता है।

एक नियमित यात्री मोहित भाटी  ने बताया, “यह लगभग हर दूसरे दिन की कहानी है। तिलपता में जाम में फंसते ही ऑटो वाले 30-40 रुपये मांगने लगते हैं। हमने कई बार परिवहन विभाग के अधिकारियों से शिकायत करने की कोशिश की, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।”

वहीं, हर रोज सूरजपुर में मजदूरी के लिए आने वाले हरगोविंद का दर्द भी कुछ ऐसा ही है। उन्होंने कहा, “एक तो जाम की वजह से काम पर पहुंचने में देर हो जाती है, जिससे मालिक की डांट सुननी पड़ती है। ऊपर से ऑटो वाले मनमाना किराया मांगकर हमारी दिहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा छीन लेते हैं। पैसे न दो तो पैदल जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचता।”

यह स्थिति परिवहन विभाग और यातायात पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। यात्रियों की लगातार शिकायतों के बावजूद, इस क्षेत्र में ऑटो चालकों के इस अवैध किराए की वसूली पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। तिलपता में लगने वाले जाम के स्थायी समाधान और ऑटो के किराए पर नियंत्रण, इन दोनों ही मोर्चों पर प्रशासन की विफलता का खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है।

 

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