Greater Noida News/ भारतीय टॉक न्यूज़: ग्रेटर नोएडा के 124 गांवों में तालाबों और प्राकृतिक जलस्रोतों के अस्तित्व पर एक गंभीर खतरा मंडरा रहा है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता कर्मवीर नागर ने एक प्रेस नोट जारी कर आरोप लगाया है कि प्राधिकरण के अधिकारी और सफाई कर्मचारी मिलकर तालाबों के किनारे कूड़ेदान रखवा रहे हैं। यह कदम न केवल अवैध है, बल्कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए स्पष्ट आदेशों का सीधा उल्लंघन भी है।
मामले के अनुसार, मिलक लच्छी, सैनी, खैरपुर, पटवारी, वैदपुरा, रोजा जलालपुर, अच्छेजा, कैलाशपुर, रूपवास, और तिलपता करनवास जैसे कई गांवों के तालाबों के पास कूड़ेदान रखे गए हैं, जिससे इन महत्वपूर्ण जलस्रोतों के प्रदूषित होने का खतरा बढ़ गया है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब NGT के आदेशों को संज्ञान में लिया जाता है।
NGT ने अपनी ओरिजिनल एप्लीकेशन संख्या 325/2015 और 325/2016 में 18 दिसंबर 2019 और 22 जनवरी 2021 को पारित आदेशों में स्पष्ट रूप से कहा है कि किसी भी तालाब या प्राकृतिक जलस्रोत के 50 मीटर के दायरे में कूड़ा फेंकना या कूड़ेदान रखना प्रतिबंधित है। इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने भी जलस्रोतों के संरक्षण को स्थानीय निकायों की प्राथमिक जिम्मेदारी बताया है।
इस मुद्दे पर पर्यावरण विशेषज्ञ आकाश वशिष्ठ ने चिंता जताते हुए कहा, “तालाबों के आसपास कूड़ेदान रखने से न केवल जल प्रदूषण में वृद्धि होगी, बल्कि यह भूजल पुनर्भरण (groundwater recharge) की प्रक्रिया को भी गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। इस तरह की लापरवाही भविष्य में क्षेत्र के लिए एक भयावह जल संकट का कारण बन सकती है।”
यह कृत्य भारतीय न्याय संहिता (BNS 2023) के तहत भी एक दंडनीय अपराध है:
धारा 277: जल प्रदूषण कर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाना।
धारा 336: कचरे से सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डालना।
धारा 297: सार्वजनिक उपद्रव और असुविधा पैदा करना।
सामाजिक कार्यकर्ता कर्मवीर नागर ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा, “हम मांग करते हैं कि तालाबों के आसपास से सभी कूड़ेदान तुरंत हटाए जाएं। इस अवैध कार्य में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ NGT के आदेशों और भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत कठोरतम कार्रवाई की जानी चाहिए।” उन्होंने क्षेत्र में नियमित निगरानी सुनिश्चित करने की भी अपील की ताकि भविष्य में इस तरह के उल्लंघन न हों।
यह मामला प्रकृति और जलस्रोतों की सुरक्षा के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाता है। यदि समय पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो इसके दूरगामी और गंभीर परिणाम पूरे समाज को भुगतने पड़ सकते हैं।