नोएडा प्राधिकरण की वादाखिलाफी के खिलाफ किसानों का गुस्सा भड़का, डीसीपी को सौंपा ज्ञापन

Farmers' anger flared up against Noida Authority's breach of promise, submitted memorandum to DCP

Bharatiya Talk
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नोएडा प्राधिकरण की वादाखिलाफी के खिलाफ किसानों का गुस्सा भड़का, डीसीपी को सौंपा ज्ञापन

Noida/ भारतीय टॉक न्यूज़ (संवाददाता) : नोएडा प्राधिकरण द्वारा कथित तौर पर अपने वादे पूरे न करने को लेकर किसानों का धैर्य जवाब दे गया है। भारतीय किसान यूनियन मंच के बैनर तले सैकड़ों किसानों ने गुरुवार को डीसीपी नोएडा यमुना प्रसाद को एक ज्ञापन सौंपा। किसानों ने मांग की है कि उनके मुद्दों को कमिश्नर के माध्यम से सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जाए, ताकि प्राधिकरण की वादाखिलाफी और “गलत हरकतों” को उजागर किया जा सके।

किसानों का आरोप है कि 30 अगस्त को पुलिस की मध्यस्थता में हुई एक महत्वपूर्ण वार्ता में प्राधिकरण द्वारा दिए गए आश्वासनों के बावजूद, जमीन पर कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया है। किसानों ने कहा कि प्राधिकरण लगातार उन्हें गुमराह कर रहा है। संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि प्राधिकरण के अधिकारी सरकार के इशारों पर काम करते हुए किसानों और मजदूरों के हितों के खिलाफ नीतियां बना रहे हैं।

किसानों की प्रमुख मांगें वर्षों से अनसुनी

पिछले नौ वर्षों से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे किसानों ने कहा कि अब वे “आर-पार की लड़ाई” के लिए तैयार हैं। उनकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं:

🔸5% और 10% आवासीय भूखंडों का आवंटन: अधिग्रहित भूमि के बदले किसानों को दिए जाने वाले विकसित भूखंडों का तत्काल आवंटन।

🔸कोटा प्लॉट का आवंटन: सहमत शर्तों के अनुसार कोटा के तहत भूखंडों का वितरण।

🔸गांवों की आबादी का नियमितीकरण: ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्रों को कानूनी मान्यता देना।

🔸विकास कार्यों में तेजी: गांवों में बुनियादी ढांचे और विकास कार्यों को गति देना।

किसान संगठन ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर प्राधिकरण ने उनकी मांगों पर जल्द ही काम शुरू नहीं किया, तो वे प्राधिकरण के मुख्य कार्यालय पर ताला जड़ देंगे। इसके अतिरिक्त, यदि मुख्यमंत्री उनकी दलीलों को सुनने में विफल रहते हैं, तो 81 गांवों के किसान उनके आगामी कार्यक्रमों के स्थल की ओर एक विशाल मार्च निकालेंगे।

डीसीपी यमुना प्रसाद ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि उनके ज्ञापन को उचित चैनलों के माध्यम से वरिष्ठ अधिकारियों और सरकार तक पहुंचाया जाएगा। हालांकि, किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र और ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करने के लिए मजबूर होंगे, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है।

 

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