ग्रेटर नोएडा: 4% आबादी भूखंड की माँग को लेकर गरजे किसान, एमएलसी नरेंद्र भाटी को सौंपा ज्ञापन; मुख्यमंत्री तक बात पहुँचाने का आश्वासन

Greater Noida: Farmers protest for 4% population land, submit memorandum to MLC Narendra Bhati; promise to convey their concerns to the Chief Minister

Bharatiya Talk
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ग्रेटर नोएडा: 4% आबादी भूखंड की माँग को लेकर गरजे किसान, एमएलसी नरेंद्र भाटी को सौंपा ज्ञापन; मुख्यमंत्री तक बात पहुँचाने का आश्वासन

Greater Noida/ भारतीय टॉक न्यूज़ (संवाददाता) : भूमि अधिग्रहण के बदले मिलने वाले शेष 4% आबादी भूखंडों की माँग को लेकर क्षेत्र के किसानों का गुस्सा एक बार फिर सतह पर आ गया है। अपनी वर्षों पुरानी इस माँग को लेकर शनिवार को ग्रेटर नोएडा के दर्जनों गाँवों के किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) नरेंद्र भाटी से मिला और उन्हें अपनी पीड़ा से अवगत कराते हुए एक ज्ञापन सौंपा।

‘शेष 4% प्लॉट पीड़ित किसान’ बैनर तले एकजुट हुए किसानों ने एमएलसी को बताया कि प्राधिकरण द्वारा उनकी जमीन का अधिग्रहण तो कर लिया गया, लेकिन मुआवजे के तहत मिलने वाले 4% विकसित भूखंड आज तक उन्हें आवंटित नहीं किए गए हैं। इस वजह से वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और उन्हें भारी आर्थिक व मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रतिनिधिमंडल में मुख्य रूप से गाँव जुनपत, पाली, हजरतपुर, रामपुर फतेहपुर समेत अन्य कई गाँवों के किसान शामिल थे, जिनके चेहरों पर व्यवस्था के प्रति गहरा रोष साफ झलक रहा था।

किसानों ने ज्ञापन में स्पष्ट कहा कि यह उनका अधिकार है, जिसे पाने के लिए वे लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। बार-बार के आश्वासनों के बावजूद आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

एमएलसी श्री नरेंद्र भाटी ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल की सभी समस्याओं को गंभीरता से सुना। उन्होंने किसानों को विश्वास दिलाते हुए कहा, “आपकी माँग पूरी तरह जायज है और मैं आपकी पीड़ा समझता हूँ।” उन्होंने आश्वासन दिया कि वह इस गंभीर मुद्दे को लेकर जल्द ही लखनऊ में मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी से मुलाकात करेंगे और किसानों की समस्या को उनके समक्ष रखकर तत्काल समाधान का आग्रह करेंगे।

किसानों ने एमएलसी के आश्वासन का स्वागत किया, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी कि यदि इस बार भी उनकी माँगों पर शीघ्रता से कार्रवाई नहीं हुई, तो वे चुप नहीं बैठेंगे और आगे की रणनीति तय करने के लिए मजबूर होंगे। इस मुलाकात के बाद अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि सरकार और प्रशासन किसानों के इस हक को दिलाने के लिए क्या कदम उठाते हैं।

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