Greater Noida / भारतीय टॉक न्यूज़: उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) ने अपने कामकाज में पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा बनाए रखने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। हाल ही में ग्रेटर नोएडा कार्यालय में एक लेखाकार के रिश्वत लेते पकड़े जाने की घटना के बाद, प्राधिकरण ने पिछले कुछ वर्षों में संदिग्ध आचरण और निष्ठा में कमी के आधार पर 12 कर्मचारियों को बर्खास्त करने की जानकारी सार्वजनिक की है। यह कार्रवाई यूपी रेरा की अनुशासनहीनता के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दर्शाती है।
बर्खास्त कर्मचारियों का विवरण और कारण
यूपी रेरा ने लखनऊ मुख्यालय और एनसीआर क्षेत्रीय कार्यालय, ग्रेटर नोएडा में कार्यरत कुल 12 कर्मचारियों को विभिन्न समयों पर सेवा से बर्खास्त किया है। इन कर्मचारियों के आचरण और निष्ठा को संदिग्ध पाया गया था। बर्खास्त किए गए कर्मियों में विभिन्न पदों के लोग शामिल हैं:
🔸 तीन अवर अभियन्ता (Junior Engineer)
🔸 दो लॉ क्लर्क एंड रिसर्च असिस्टेंट (LCRA)
🔸 एक सहायक लेखाकार (Assistant Accountant)
🔸 चार कम्प्यूटर ऑपरेटर (Computer Operator)
🔸 एक हेल्प डेस्क कर्मी (Help Desk Staff)
🔸एक अनुसेवक (Peon)
यह कार्रवाई दर्शाती है कि प्राधिकरण अपने कर्मचारियों के कामकाज पर लगातार निगरानी रखता है और किसी भी गड़बड़ी पर कठोर कदम उठाने से नहीं हिचकिचाता।
रिश्वतखोरी का हालिया मामला और रेरा की प्रतिक्रिया
पिछले सप्ताह, मेरठ की एंटी करप्शन टीम ने यूपी रेरा के ग्रेटर नोएडा स्थित कार्यालय से लेखाकार हरेंद्र कुमार को कथित तौर पर रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। इस घटना से प्राधिकरण की छवि को धक्का लगा और काफी किरकिरी हुई। गिरफ्तारी के तुरंत बाद आरोपी लेखाकार को नौकरी से निकाल दिया गया था। इस प्रकरण के बाद उठे सवालों के जवाब में, यूपी रेरा ने मंगलवार को एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए बताया कि ईमानदारी और निष्ठा से काम न करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ पहले भी कार्रवाई की जाती रही है, जिसके तहत ही पिछले कुछ वर्षों में इन 12 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है।
निगरानी और सत्यनिष्ठा के कड़े उपाय
यूपी रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी के अनुसार, प्राधिकरण में प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी से सत्यनिष्ठा का शपथ-पत्र (Affidavit of Integrity) लिया जाता है। कार्यालयों में कर्मचारियों और आगंतुकों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पहले से ही प्रमुख स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लगातार निगरानी की जाती है। रिश्वतखोरी के ताजा मामले से सबक लेते हुए, अब प्राधिकरण ने निर्णय लिया है कि कर्मचारियों पर और कड़ी निगरानी रखने के लिए सभी कक्षों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। रेरा ने यह भी स्पष्ट किया है कि अनुशासनहीनता पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई जाती है।
यूपी रेरा की भूमिका और उद्देश्य
यूपी रेरा का गठन वर्ष 2017 में (मुख्यालय लखनऊ) और 2018 में (एनसीआर क्षेत्रीय कार्यालय ग्रेटर नोएडा) रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 के तहत किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य रियल एस्टेट परियोजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करना, विकासकर्ताओं (Developers) की जवाबदेही तय करना और घर खरीदारों (Consumers) के हितों की रक्षा करना है। प्राधिकरण का मानना है कि कर्मचारियों की संख्या भले ही कम हो, लेकिन उनके काम की प्रकृति अत्यंत संवेदनशील है, इसलिए कार्यस्थल पर उच्चतम स्तर की सत्यनिष्ठा और अनुशासन बनाए रखना अनिवार्य है। इसके लिए कर्मचारियों का नियमित प्रशिक्षण भी कराया जाता है।