गौतम बुद्ध नगर में शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला: कम छात्रों वाले स्कूल होंगे विलय, खाली भवनों में चलेंगी बालवाटिकाएं

Big decision of the education department in Gautam Buddha Nagar: Schools with less students will be merged, kindergartens will run in empty buildings

Partap Singh Nagar
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गौतम बुद्ध नगर में शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला: कम छात्रों वाले स्कूल होंगे विलय, खाली भवनों में चलेंगी बालवाटिकाएं

Greater Noida News/ भारतीय टॉक न्यूज़: गौतमबुद्ध नगर जनपद के चार ब्लॉक के 50 से कम छात्र संख्या वाले प्राइमरी और उच्च प्राथमिक विद्यालय जल्द ही पास के स्कूलों में मर्ज होंगे। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।

🔸 1 जुलाई से नए स्कूलों में पढ़ाई: इन विद्यालयों के छात्र 1 जुलाई से नजदीकी स्कूलों में अपनी पढ़ाई जारी रखेंगे।

 🔸खाली भवनों का होगा सदुपयोग: विलय के बाद खाली होने वाले स्कूल भवनों में अब बालवाटिका और आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जाएंगे।

 🔸 नजदीकी स्कूलों में होगा विलय: विभाग के अनुसार, जिन स्कूलों का विलय हो रहा है, उनकी दूरी पास के विद्यालयों से अधिकतम 2.5 से 3 किलोमीटर है, कुछ मामलों में यह दूरी 200-300 मीटर ही है।

🔸 छात्रों को मिलेंगी बेहतर सुविधाएं: अधिकारियों का कहना है कि इस फैसले से छात्रों को बेहतर शिक्षा और संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे।

 🔸इन ब्लॉकों के स्कूल होंगे प्रभावित: बिसरख ब्लॉक के खेड़ा दुजाना, खेड़ा हाथीपुर, कचेहड़ा एक और दो, सुनपुरा एक और दो समेत कई स्कूल इस निर्णय से प्रभावित होंगे। दादरी ब्लॉक में कैलाशपुर, दयानगर, नई बील, कोट डेरी, आनंदपुर, सीदीपुर आदि स्कूलों का विलय किया जाएगा।, इसी तरह दनकौर में अस्तौली, बागपुर, पंचायतन, हटेवा एक और दो, रोशनपुर, तथा जेवर ब्लॉक में निमिका, बेगमाबाद, नगला शाहपुर, गोविंदगढ़, रबूपुरा दो और सुल्तानपुर जैसे गांवों के स्कूलों का विलय होगा।

🔸शिक्षकों का होगा स्थानांतरण: विलय किए जा रहे स्कूलों के शिक्षकों को भी पास के अन्य विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा।

🔸बालवाटिका से छोटे बच्चों को लाभ: स्कूलों को बंद नहीं किया जाएगा, बल्कि वहां बालवाटिकाएं चलेंगी, जिससे 3 से 6 वर्ष के बच्चों को शिक्षा की शुरुआती सुविधाएं मिल सकेंगी।

🔸 शिक्षक-छात्र अनुपात में सुधार: बेसिक शिक्षा परिषद के मानकों के अनुसार शिक्षक-छात्र अनुपात को संतुलित करने के लिए यह कदम उठाया गया है, क्योंकि कई स्कूलों में कम छात्रों पर अधिक शिक्षक कार्यरत थे।

 

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