बड़ी खबर: ग्रेटर नोएडा में गोबर से बनेगा फ्यूल, गोबर से बायोगैस प्लांट, स्वच्छ ऊर्जा का नया रास्ता , गोशालाओं को मिलेगा नया जीवन

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बड़ी खबर: ग्रेटर नोएडा में गोबर से बनेगा फ्यूल, गोबर से बायोगैस प्लांट, स्वच्छ ऊर्जा का नया रास्ता , गोशालाओं को मिलेगा नया जीवन


Greater Noida News :
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अपनी दो गोशालाओं में गोवंशों के गोबर से फ्यूल बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। जलपुरा और पौवारी गोशाला में बायो सीएनजी प्लांट लगेगा। गोबर को प्रोसेस करने से प्राप्त बायो सीएनजी फ्यूल को बेचने से प्राप्त रकम को इन गोशालाओं के रखरखाव पर खर्च किया जाएगा। इससे गोवंशों की देखभाल में भी आसानी होगी। योजना पर काम शुरू हो गया है। सीएनजी प्लांट लगाने में लगभग डेढ़ वर्ष का समय और 17 करोड़ रुपये लगेगा।

कंपनी का हुआ चयन

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने जलपुरा और पौवारी गोशालाओं को स्व वित्त पोषित बनाने के उद्देश्य से गोबर गैस प्लांट लगाने के निर्देश दिए थे। प्राधिकरण के जनस्वास्थ्य विभाग ने सबसे पहले जलपुरा गोशाला के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल निकाला, जिसके जरिए एक कंपनी एस 3 फ्यूल का चयन कर लिया गया है। कंपनी को अवार्ड लेटर जारी कर दिया गया है। कंपनी जल्द ही प्लांट लगाने पर काम शुरू कर सकती है। प्लांट को बनाने में लगभग डेढ़ साल का समय लगेगा और इसे बनाने में करीब 17 करोड़ रुपए खर्च होने का आकलन है, जिसे कंपनी खुद वहन करेगी।

  • कंपनी का चयन: एस 3 फ्यूल कंपनी को प्लांट लगाने का जिम्मा सौंपा गया।
  • लागत: प्लांट लगाने में लगभग 17 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
  • क्षमता: प्लांट प्रतिदिन 50 टन गोबर को प्रोसेस करेगा।
  • अतिरिक्त गोबर: आसपास के गांवों से भी गोबर और घरेलू कचरा प्राप्त किया जाएगा।

गोबर प्रोसेसिंग की प्रक्रिया

रोजाना 50 टन प्रतिदिन के हिसाब से गोबर को प्रोसेस किया जाएगा। अगर इस गोशाला से प्रतिदिन 50 टन गोबर प्राप्त नहीं होता है, तो आसपास के गांवों से गोबर और घरेलू कचरा भी प्राप्त कर प्रोसेस किया जाएगा। इससे आसपास के गांवों की सफाई व्यवस्था भी और बेहतर होगी।

15 साल तक चलाएगी कंपनी

कंपनी खुद के पैसे से इसे तैयार कर 15 साल तक चलाएगी। इन 15 वर्षों में प्राधिकरण को लगभग 6.48 करोड़ रुपये की प्राप्ति होगी। जलपुरा के साथ ही अब प्राधिकरण ने पौवारी गोशाला के लिए भी रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल निकाल दिया है। इसमें आवेदन के लिए 19 दिसंबर अंतिम तिथि है। इससे पहले 11 दिसंबर को प्रीबिड मीटिंग होगी। निविदा प्रक्रिया पूरी होते ही काम शुरू करने की तैयारी है।

आय: 15 सालों में प्राधिकरण को लगभग 6.48 करोड़ रुपये की आय होगी।

गोशालाओं के संचालन में मदद

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी अभिषेक पाठक का कहना है कि इन दोनों गोशालाओं में प्लांट शुरु होने से गोबर प्रोसेस होने के साथ ही आमदनी भी होगी, जिससे गोशालाओं के संचालन में भी मदद मिलेगी।

इस प्रकार, यह योजना न केवल गोबर के उपयोग को बढ़ावा देगी, बल्कि स्थानीय समुदाय की सफाई व्यवस्था में भी सुधार लाएगी।

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