Greater Noida News/ BT News: – उत्तर प्रदेश के हाई-टेक जिले गौतमबुद्ध नगर (नोएडा-ग्रेटर नोएडा) में आवारा और पालतू कुत्तों के हमलों ने रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच लिया है। स्वास्थ्य विभाग के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, जनवरी से मई 2025 तक जिले में 70,000 से अधिक लोगों को कुत्तों ने काटा है, जिससे स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर दबाव पैदा हो गया है। जिनमें से 93% से अधिक मामलों के लिए कुत्ते जिम्मेदार हैं। यह भयावह स्थिति न केवल आम नागरिकों में डर पैदा कर रही है, बल्कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए भी एक गंभीर चुनौती बन गई है।
चौंकाने वाले आँकड़े: क्या कहती है रिपोर्ट?
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पाँच महीनों में:
– कुल 74,550 जानवरों के काटने (एनिमल बाइट) के मामले दर्ज हुए।
– इनमें से 93% (69,188 मामले) कुत्तों के काटने के थे।
– आवारा कुत्तों के हमले: 52,714 (70%)
– पालतू कुत्तों के हमले: 16,474 (22%)
– अन्य जानवरों (बंदर, बिल्ली आदि) के हमले: 5,362 मामले
महीनेवार आँकड़े:
– जनवरी: 13,559
– फरवरी: 15,830
– मार्च: 15,131
– अप्रैल: 15,286
– मई: 14,744
प्रशासनिक दावों और हकीकत में अंतर
नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण समय-समय पर आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए अभियान चलाने का दावा करते हैं। हालांकि, जमीन पर इन अभियानों का असर नाकाफी साबित हो रहा है। कुत्तों की बढ़ती आबादी और उनके आक्रामक व्यवहार ने इन दावों की पोल खोल दी है। खासकर बच्चे और बुजुर्ग आसानी से इनका निशाना बन रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में बंदरों और बिल्लियों के बढ़ते हमले भी एक नई समस्या के रूप में उभरे हैं।
क्यों बढ़ रहे हैं कुत्तों के हमले?
1. आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या – नगर निगम द्वारा नसबंदी अभियान धीमा होने से आवारा कुत्तों की आबादी अनियंत्रित हो गई है।
2. पालतू कुत्तों का उचित टीकाकरण न होना – कई मालिक अपने कुत्तों को रेबीज का टीका नहीं लगवाते, जिससे खतरा बढ़ता है।
3. कचरा प्रबंधन की खराब व्यवस्था – खुले कचरे के ढेर आवारा कुत्तों को आकर्षित करते हैं।
4. लोगों में जागरूकता की कमी – बच्चे और बुजुर्ग अक्सर कुत्तों को छेड़ देते हैं, जिससे हमले होते हैं।
स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की कार्रवाई
बढ़ते मामलों के दबाव में स्वास्थ्य विभाग ने जिला अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी-रेबीज वैक्सीन (ARV) की उपलब्धता बढ़ा दी है और गंभीर मामलों में तत्काल उपचार सुनिश्चित किया जा रहा है। वहीं, जिला प्रशासन ने नसबंदी अभियान में तेजी लाने, पालतू जानवरों के मालिकों के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने और वन विभाग के साथ मिलकर आवारा जानवरों के प्रबंधन के लिए एक ठोस योजना बनाने का आश्वासन दिया है।
– रेबीज वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाई गई है, लेकिन मरीजों की भीड़ के कारण अस्पतालों पर दबाव है।
– नसबंदी अभियान तेज करने का वादा किया गया है।
– जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ताकि लोग सतर्क रहें।
विशेषज्ञों की सलाह: क्या करें अगर कुत्ता काट ले?
1. तुरंत घाव को साबुन और पानी से धोएं।
2. डॉक्टर से संपर्क करें और रेबीज वैक्सीन लगवाएँ।
3. गंभीर घाव (CAT-3) होने पर तुरंत अस्पताल जाएँ।