यूपी रेरा ग्रेटर नोएडा कार्यालय में रिश्वतखोरी का पर्दाफाश, एंटी करप्शन टीम ने लेखाकार को ₹5000 लेते रंगे हाथ दबोचा

Bribery exposed in UP RERA Greater Noida office, Anti Corruption Team caught accountant red handed taking ₹5000

Partap Singh Nagar
5 Min Read
यूपी रेरा ग्रेटर नोएडा कार्यालय में रिश्वतखोरी का पर्दाफाश, एंटी करप्शन टीम ने लेखाकार को ₹5000 लेते रंगे हाथ दबोचा

Greater Noida / भारतीय टॉक न्यूज़: उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (यूपी रेरा) के ग्रेटर नोएडा स्थित कार्यालय में भ्रष्टाचार का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। मेरठ की एंटी करप्शन टीम ने यूपी रेरा के एक लेखाकार, हरेंद्र गोस्वामी को एक फ्लैट खरीदार से ₹5,000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। आरोप है कि लेखाकार ने पीड़ित खरीदार के रुके हुए काम को जल्दी कराने के एवज में यह रिश्वत मांगी थी, जो पिछले कई सालों से अपने फ्लैट का वैध कब्जा पाने के लिए संघर्ष कर रहा था।

यूपी रेरा ग्रेटर नोएडा कार्यालय में रिश्वतखोरी का पर्दाफाश, एंटी करप्शन टीम ने लेखाकार को ₹5000 लेते रंगे हाथ दबोचा
यूपी रेरा ग्रेटर नोएडा कार्यालय में रिश्वतखोरी का पर्दाफाश, एंटी करप्शन टीम ने लेखाकार को ₹5000 लेते रंगे हाथ दबोचा

पृष्ठभूमि: पीड़ित खरीदार का लंबा संघर्ष

मामले के पीड़ित, कुलदीप, जो केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत हैं, ने वर्ष 2014 में ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-10 स्थित अमात्रा होम्स प्रोजेक्ट में एक फ्लैट बुक किया था। अनुबंध के अनुसार, उन्हें फ्लैट का कब्जा 2018 में मिलना था। हालांकि, डेवलपर ने बिना ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट (ओसी) और कंप्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) प्राप्त किए ही 2019 में फ्लैट का कब्जा सौंप दिया। इतना ही नहीं, डेवलपर ने कुलदीप से ₹4 लाख की अतिरिक्त मांग भी कर दी। कुलदीप ने बताया कि उन्होंने कंस्ट्रक्शन लिंक्ड प्लान (सीएलपी) के तहत फ्लैट खरीदा था और वह 95% भुगतान पहले ही कर चुके थे। शेष 5% भुगतान के समय बिल्डर ने यह अवैध मांग शुरू की।

रेरा में शिकायत और निराशा

इस अनियमितता से परेशान होकर कुलदीप ने उत्तर प्रदेश रेरा में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए। बिल्डर ने रेरा के आदेश को चुनौती दी, लेकिन जून 2022 में उसकी अपील खारिज कर दी गई। इसके बावजूद, पिछले तीन वर्षों से कुलदीप को न तो उनके फ्लैट का वैध कब्जा मिला और न ही दोषी बिल्डर पर लगाया गया जुर्माना वसूला जा सका। एक केंद्रीय अधिकारी होने के बावजूद, उन्हें न्याय के लिए यूपी रेरा कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे थे।

रिश्वत की मांग और एंटी करप्शन का जाल

इसी क्रम में, शनिवार को यूपी रेरा के लेखाकार हरेंद्र गोस्वामी ने कुलदीप से संपर्क किया और उनका काम जल्दी कराने का आश्वासन दिया। लेकिन इस मदद के बदले गोस्वामी ने ₹50,000 की रिश्वत की मांग की। जब कुलदीप ने इतनी बड़ी रकम देने में असमर्थता जताई, तो गोस्वामी ने ₹5,000 तत्काल और बाकी रकम बाद में देने का प्रस्ताव रखा। इस पर कुलदीप ने तुरंत एंटी करप्शन टीम, मेरठ से संपर्क किया और पूरी घटना की शिकायत दर्ज कराई।

रंगे हाथ गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई

एंटी करप्शन टीम ने शिकायत के आधार पर एक योजना बनाई। योजना के अनुसार, जब कुलदीप ने हरेंद्र गोस्वामी को रिश्वत के ₹5,000 दिए, तो पहले से तैयार टीम ने गोस्वामी को रंगे हाथों दबोच लिया। आरोपी लेखाकार को तुरंत हिरासत में लेकर बीटा-2 कोतवाली ले जाया गया, जहां उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इस घटना के बाद यूपी रेरा के वरिष्ठ अधिकारी भी कोतवाली पहुंचे और मामले की जांच में सहयोग कर रहे हैं।

पारदर्शिता पर सवाल और सुधार की मांग

पीड़ित कुलदीप ने अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए कहा कि एक केंद्रीय अधिकारी होते हुए भी उन्हें न्याय पाने के लिए तीन साल तक भटकना पड़ा। उन्होंने इस घटना के बाद यूपी रेरा की कार्यप्रणाली में सुधार और पीड़ितों को समय पर न्याय दिलाने की मांग की है। इस मामले ने रेरा जैसे नियामक प्राधिकरण के कार्यालय में कामकाज की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और यह उजागर किया है कि कैसे सिस्टम के भीतर बैठे लोग ही पीड़ितों का शोषण कर सकते हैं। अधिकारियों ने आरोपी कर्मचारी के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई का भी आश्वासन दिया है।

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