चंद्रशेखर आजाद का संसद में गुर्जर क्रांतिकारियों का गुणगान : भारतीय सेना में गुर्जर रेजिमेंट की स्थापना की मांग

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चंद्रशेखर आजाद का संसद में गुर्जर क्रांतिकारियों का गुणगान : भारतीय सेना में गुर्जर रेजिमेंट की स्थापना की मांग

Parliament Demand Gurjar regiment : आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद ने हाल ही में भारतीय सेना में गुर्जर रेजिमेंट के गठन की मांग उठाई है। यह मांग गुर्जर समाज की लंबे समय से चली आ रही आकांक्षा को दर्शाती है, जो न केवल उनके मान-सम्मान को बढ़ाने का कार्य करेगी, बल्कि उनके ऐतिहासिक योगदान को भी मान्यता देगी। गुर्जर समाज का इतिहास शौर्य, बलिदान और मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम से भरा हुआ है, और यह समय है कि इस समाज की वीरता को उचित सम्मान दिया जाए ।

गुर्जर समाज का ऐतिहासिक योगदान

गुर्जर समाज का इतिहास 1857 के पहले सशस्त्र विद्रोह से जुड़ा हुआ है, जब कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने मेरठ से विद्रोह की अगुवाई की थी। उनके नेतृत्व में आस-पास के गुर्जर गाँवों ने भी इस विद्रोह में भाग लिया। यह विद्रोह धीरे-धीरे बुलंदशहर, सहरानपुर, दिल्ली, बिजनौर, आगरा और अन्य क्षेत्रों में फैल गया। दादरी रियासत के राजा उमराव सिंह भाटी की अगुवाई में भटनेर के लोगों ने भी अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया। इस संघर्ष में कई गुर्जर वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी, जिनमें शहीद दरियाव सिंह, भगवान सिंह भाटी, और राव कदम सिंह भाटी जैसे नाम शामिल हैं।

चंद्रशेखर आजाद का संसद में गुर्जर क्रांतिकारियों का गुणगान : भारतीय सेना में गुर्जर रेजिमेंट की स्थापना की मांग

बलिदान और शौर्य की गाथाएँ

गुर्जर समाज के वीरों ने अपने बलिदान से इस देश की मिट्टी को सींचा है। 1857 की क्रांति में अग्रिम भूमिका निभाने वाले जननायक कोतवाल धन सिंह गुर्जर को अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया। इसी प्रकार, अंचल सिंह गुर्जर को तोप के मुँह पर बांधकर उड़ा दिया गया, और राव कदम सिंह भाटी को हाथियों से कुचला गया। इन बलिदानों ने न केवल गुर्जर समाज को बल्कि पूरे देश को प्रेरित किया। इन वीरों ने अपने अनगिनत साथियों के साथ मिलकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और देश के युवाओं को आजादी की जंग में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

सेना में गुर्जर समाज का योगदान

गुर्जर समाज के नौजवानों ने भारतीय सेना में भर्ती होकर वीरता और निडरता के साथ देश की सीमाओं की रक्षा की है। विश्व युद्ध, 1962, 1965, 1971 की लड़ाइयों और कारगिल युद्ध में गुर्जर समाज के अनेक रणबांकुरों ने मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राणों की परवाह किए बिना दुश्मन के इरादों को नाकाम किया। यह समाज हमेशा से देश की रक्षा में अग्रणी रहा है और उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

गुर्जर रेजिमेंट की आवश्यकता

गुर्जर समाज के संघर्ष और बलिदान को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि भारतीय सेना में गुर्जर रेजिमेंट का गठन किया जाए। यह रेजिमेंट न केवल गुर्जर समाज की परंपरागत सेवा को मान्यता देगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों में देश की रक्षा और सुरक्षा का जोश और जूनून कायम रखने में भी सहायक होगी। गुर्जर रेजिमेंट का गठन इस समाज के मान-सम्मान को बढ़ाने के साथ-साथ उनके ऐतिहासिक योगदान को भी उजागर करेगा।

गुर्जर समाज का इतिहास शौर्य, बलिदान और मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम से भरा हुआ है। आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद द्वारा उठाई गई गुर्जर रेजिमेंट की मांग इस समाज के प्रति सम्मान और मान्यता का प्रतीक है। यह समय है कि हम गुर्जर समाज के योगदान को समझें और उन्हें उचित सम्मान दें। गुर्जर रेजिमेंट का गठन न केवल गुर्जर समाज के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय होगा। हमें इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस गौरवमयी इतिहास को याद रखें और गर्व से कह सकें कि वे गुर्जर समाज के सदस्य हैं।

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