New Delhi/ भारतीय टॉक न्यूज़ : देश की सियासत के सबसे प्रतिष्ठित क्लबों में से एक, कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब के अध्यक्ष पद के लिए हुआ चुनाव आखिरकार अपने अंजाम तक पहुंच गया है। पिछले एक महीने से राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बने इस मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और सारण (बिहार) से सांसद राजीव प्रताप रूडी ने मुजफ्फरनगर के पूर्व सांसद डॉ. संजीव बालियान को शिकस्त देकर अपनी 25 साल की बादशाहत कायम रखी है।

यह चुनाव इस बार इसलिए भी खास बन गया क्योंकि पिछले ढाई दशक से निर्विरोध अध्यक्ष चुने जा रहे राजीव प्रताप रूडी को पहली बार किसी ने चुनौती दी थी। डॉ. संजीव बालियान के मैदान में उतरने से यह मुकाबला बेहद दिलचस्प और प्रतिष्ठा का सवाल बन गया। चुनाव की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल जैसे दिग्गज नेता एक ही गाड़ी में वोट डालने पहुंचे।
मतगणना शुरू से ही कांटे की टक्कर वाली रही। पहले चरण की गिनती के बाद दोनों ही उम्मीदवार 22-22 वोटों के साथ बराबरी पर थे। लेकिन जैसे-जैसे गिनती आगे बढ़ी, रूडी ने अपनी बढ़त बनानी शुरू कर दी। इस चुनाव में निर्णायक भूमिका पोस्टल बैलट ने निभाई। बताया जा रहा है कि पोस्टल बैलट के जरिए डाले गए सभी 38 वोट एकतरफा राजीव प्रताप रूडी के पक्ष में गए।
इस दौरान एक विवाद की स्थिति भी उत्पन्न हुई जब हरियाणा से सांसद और प्रसिद्ध उद्योगपति नवीन जिंदल वोट डालने पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनका वोट पोस्टल बैलट के माध्यम से पहले ही डाला जा चुका है। इसे लेकर कुछ देर तक हंगामा भी हुआ, लेकिन यह स्पष्ट था कि यह वोट भी रूडी के खाते में ही गया।
अंतिम नतीजों में कुल पड़े 707 वोटों में से राजीव प्रताप रूडी विजयी घोषित किए गए। हार का अंतर स्पष्ट होने के बाद डॉ. संजीव बालियान ने अपने समर्थकों का आभार व्यक्त किया और उन्हें वापस भेज दिया।
इस चुनाव में मुजफ्फरनगर और शामली क्षेत्र के कई पूर्व सांसदों ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिनमें सोहनवीर सिंह, कादिर राणा, सईदुज्जमा और कैराना की पूर्व सांसद तबस्सुम बेगम शामिल थीं। सूत्रों के अनुसार, इनमें से अधिकांश वोट भी रूडी के पक्ष में ही गए।
चुनाव का एक रोचक पहलू यह भी रहा कि मुकाबला बीजेपी के ही दो वरिष्ठ नेताओं के बीच था, जिसके चलते विपक्षी दलों के सांसदों को भी इन्हीं में से किसी एक को चुनना पड़ा।