“रिश्तेदारों के नाम पर जमीन खरीदकर मुआवज़ा बांटने का मामला: यमुना अथॉरिटी में भ्रष्टाचार”

5 Min Read
"रिश्तेदारों के नाम पर जमीन खरीदकर मुआवज़ा बांटने का मामला: यमुना अथॉरिटी में भ्रष्टाचार"
“रिश्तेदारों के नाम पर जमीन खरीदकर मुआवज़ा बांटने का मामला: यमुना अथॉरिटी में भ्रष्टाचार”

 

Greater Noida :  यमुना अथॉरिटी के अधिकारियों द्वारा हाथरस में जमीन खरीद में किए गए भ्रष्टाचार का खुलासा पुलिस जांच में हो गया है। जांच में यह सामने आया है कि अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर पहले करीब 14 हेक्टेयर जमीन खरीदी। इसके बाद उस जमीन को अथॉरिटी को बेचा और उसका मुआवजा खरीद कीमत से कई गुना अधिक लिया गया। इस घोटाले से अथॉरिटी को करीब 23 करोड़ 92 लाख 41 हजार 724 रुपये का नुकसान हुआ।

एफआईआर और चार्जशीट

2019 में ग्रेटर नोएडा के बीटा-2 थाने में दर्ज हुई इस एफआईआर में पुलिस ने करीब एक हजार पेज की पहली चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है। इस चार्जशीट में पूरे भ्रष्टाचार को पुलिस ने परत-दर-परत उधेड़कर सबूतों के लिफाफे का कवच दिया है। 18 गवाह बनाए गए हैं और 200 विवेचना प्रपत्र भी चार्जशीट में शामिल हैं। यह चार्जशीट यमुना अथॉरिटी के तत्कालीन दो तहसीलदार और आठ अन्य के खिलाफ भेजी गई है। इन आठ लोगों में तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता के भतीजे व अन्य अधिकारियों के रिश्तेदार व नौकर का नाम शामिल है।

केस की पृष्ठभू

यह केस 2019 में ग्रेटर नोएडा के बीटा-2 थाने में दर्ज हुआ था। इस केस में यमुना अथॉरिटी के तत्कालीन सीईओ समेत 29 आरोपी नामजद हुए थे। इसकी जांच नोएडा जोन के एसीपी को सौंपी गई थी। उस समय केस दर्ज होने पर पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया था, वहीं कुछ ने सरेंडर भी कर दिया था। सरकारी अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की मंजूरी पुलिस ने शासन में अलग-अलग स्तर पर मांगी थी। पिछले दिनों राजस्व परिषद से दो तहसीलदारों के खिलाफ चार्जशीट की मंजूरी मिल गई थी।

चार्जशीट में शामिल नाम

इस वजह से पुलिस ने तहसीलदार रणवीर सिंह (बागपत) व सुरेश चंद्र शर्मा (दिल्ली) व आठ अन्य रिटायर हो चुके अधिकारी कर्मचारी व आम व्यक्तियों के खिलाफ यह पहली चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है। इसमें मनोज कुमार, गौरव कुमार सदरपुर सेक्टर-45 नोएडा, दिल्ली के अनिल कुमार व सत्येंद्र, बुलंदशहर के संजीव व अजीत, बृजेश (सुल्तानपुर) व स्वदेश गुसा (कैंट लखनऊ) के नाम शामिल हैं।

जमीन अधिग्रहण का मामला

यमुना अथॉरिटी ने हाथरस में 2011-12 में करीब 42 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया था। इसके बदले जमीन देने वाले किसानों को 7 प्रतिशत प्लॉट देने का प्रावधान था। इसके लिए अथॉरिटी को 5 हेक्टेयर जमीन की जरूरत थी। आरोप है कि इसके उलट अधिकारियों ने हाथरस जिले के मिधावली गांव में जरूरत से ज्यादा करीब 14 हेक्टेयर जमीन अपने रिश्तेदारों, करीबियों व उनके नाम पर बनी संस्थाओं के नाम पर खरीदवा दी। इस जमीन को किसानों से औने-पौने दाम पर खरीदने का आरोप है। इसके बाद अथॉरिटी से इस जमीन का बढ़ा हुआ मुआवजा इन खरीदारों को दिलाया गया।

पुलिस की जांच और गवाह

पुलिस का कहना है कि केस की जांच अभी जारी है। इस मामले में 18 गवाह बनाए गए हैं और अधिकारियों के आरोपियों से रिश्ते भी स्पष्ट किए गए हैं। पुलिस ने पूरे भ्रष्टाचार के आरोपों को आरोपी अधिकारियों से उनके रिश्तेदारों के जरिये चार्जशीट में स्पष्ट किया है। दो तहसीलदार के अलावा जिन 8 लोगों के खिलाफ चार्जशीट की गई है वे कोई आम आदमी नहीं हैं। ये आरोपी भी तत्कालीन यमुना अथॉरिटी के अधिकारियों के रिश्तेदार हैं।

आरोपी और उनके रिश्ते

पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी स्वदेश गुप्ता (कैंट लखनऊ) तत्कालीन अथॉरिटी सीईओ पीसी गुप्ता के भतीजे हैं। मनोज कुमार व गौरव कुमार (सदरपुर) तहसीलदार यीडा के सीईओ पीसी गुप्ता पर रणवीर सिंह के ब्रदर इन लॉ हैं। अनिल कुमार तहसीलदार रणवीर सिंह के सगे भतीजे हैं। आरोपी सत्येंद्र तत्कालीन ओएसडी वीपी सिंह की कोठी पर बिजली का काम करता था। संजीव कुमार तत्कालीन ओएसडी वीपी सिंह का ब्रदर इन लॉ है। अजीत कुमार संजीव का ब्रदर इन लॉ है।

इस भ्रष्टाचार के मामले में यमुना अथॉरिटी के अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाया और अथॉरिटी को भारी नुकसान पहुंचाया। पुलिस की जांच में यह मामला उजागर हुआ और अब कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई है। इस मामले की जांच अभी भी जारी है

Spread the love
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Exit mobile version