Noida News / भारतीय टॉक न्यूज़: दादरी-नोएडा-गाजियाबाद इन्वेस्टमेंट रीजन (DNGIR), जिसे ‘न्यू नोएडा’ के नाम से जाना जा रहा है, के विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्राधिकरण ने उत्तर प्रदेश शासन से न्यू नोएडा के लिए विशेष रूप से एक अपर जिलाधिकारी (एडीएम) स्तर के अधिकारी की तैनाती की मांग की है। यह मांग न्यू नोएडा में भूमि अधिग्रहण की जटिल प्रक्रिया को सुगम बनाने और किसानों के साथ प्रभावी संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से की गई है।
अधिकारी की आवश्यकता क्यों?
नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) डॉ. लोकेश एम ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस आवश्यकता से अवगत कराया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि न्यू नोएडा परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण एक बड़ी और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके लिए प्रशासनिक स्तर पर एक समर्पित अधिकारी की जरूरत है। यह अधिकारी मुख्य रूप से निम्नलिखित जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा:
🔸भूमि की दरें तय करना: किसानों से आपसी सहमति के आधार पर जमीन ली जानी है। इसके लिए भूमि की दरों का निर्धारण एक पारदर्शी और सर्वमान्य तरीके से करना आवश्यक है। एडीएम स्तर का अधिकारी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
🔸किसानों से संवाद: 80 गांवों के किसानों से सीधे संवाद स्थापित करना, उनकी समस्याओं को सुनना और उनका समाधान करना इस प्रक्रिया का अहम हिस्सा है। एक अनुभवी प्रशासनिक अधिकारी किसानों का भरोसा जीतने और अधिग्रहण प्रक्रिया को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने में सहायक होगा।
🔸प्रशासनिक समन्वय: भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में जिला प्रशासन, तहसील और प्राधिकरण के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता होती है। प्रस्तावित अधिकारी इस समन्वय को स्थापित कर भूमि के हस्तांतरण जैसी प्रक्रियाओं को गति प्रदान करेगा।
प्राधिकरण के भूलेख विभाग में पहले से ही अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी है, जिसके चलते न्यू नोएडा जैसी वृहद परियोजना के कार्यों को संभालने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
क्या है ‘न्यू नोएडा’ परियोजना?
‘न्यू नोएडा’ या दादरी-नोएडा-गाजियाबाद इन्वेस्टमेंट रीजन, नोएडा और दादरी से लेकर खुर्जा तक के 80 गांवों की जमीन पर बसाया जाने वाला एक महत्वाकांक्षी औद्योगिक और शहरी क्षेत्र है। इसमें गौतम बुद्ध नगर के 20 और बुलंदशहर के 60 गांव शामिल हैं। मास्टर प्लान-2041 के तहत इस क्षेत्र को विकसित किया जाना है, जिसमें औद्योगिक इकाइयों के लिए 40% भूमि आरक्षित की गई है। यह परियोजना दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित कर रोजगार के अवसर पैदा करना है।
वर्तमान स्थिति और चुनौतियां
न्यू नोएडा का मास्टर प्लान-2041 प्रभावी हो चुका है, लेकिन भूमि अधिग्रहण के लिए दरों का निर्धारण अभी तक नहीं हो पाया है। प्राधिकरण की योजना किसानों से सीधे आपसी समझौते के आधार पर जमीन खरीदने की है। इसके लिए अधिकारियों की एक टीम को लगातार गांवों का दौरा कर किसानों से बैठकें करनी होंगी। एडीएम स्तर के अधिकारी की तैनाती से इस पूरी प्रक्रिया को एक नई दिशा और गति मिलने की उम्मीद है।
इस महत्वपूर्ण प्रशासनिक नियुक्ति से न केवल भूमि अधिग्रहण की बाधाएं दूर होंगी, बल्कि न्यू नोएडा के सुनियोजित और तीव्र विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा, जिससे यह क्षेत्र भविष्य में एक प्रमुख आर्थिक केंद्र के रूप में उभर सकेगा।