Noida News/ भारतीय टॉक न्यूज़ : थाना साइबर क्राइम नोएडा ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए एक बिजनेसमैन को ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर लगभग 2 करोड़ 40 लाख रुपये की ठगी करने वाले गिरोह के दो मुख्य सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से ठगी में इस्तेमाल बैंक खातों का पता लगाया है और पीड़ित की कुछ रकम फ्रीज कर रिफंड की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
घटना का विवरण: कैसे बनाया बिजनेसमैन को निशाना
डीसीपी साइबर क्राइम प्रीति यादव ने बताया कि पीड़ित ने 18 मार्च, 2025 को थाना साइबर क्राइम, नोएडा में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के अनुसार, साइबर अपराधियों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर पीड़ित को फोन किया। उन्होंने पीड़ित को मानव तस्करी के झूठे मामले में फंसाने की धमकी दी और केस दर्ज होने का डर दिखाकर ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर लिया। इस दौरान अपराधियों ने पीड़ित से डरा-धमकाकर कुल 2,39,16,700 रुपये की धोखाधड़ी की।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई और गिरफ्तारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए थाना साइबर क्राइम नोएडा ने मुकदमा अपराध संख्या-0019/2025, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बी.एन.एस.) की धारा 308(2), 319(2), 318(4) और आईटी एक्ट की धारा 66डी के तहत अभियोग पंजीकृत किया। डीसीपी प्रीति यादव ने बताया कि विवेचना में तेजी दिखाते हुए धोखाधड़ी में लिप्त संदिग्ध बैंक खातों को तत्काल फ्रीज कराया गया। लोकल इंटेलिजेंस एवं गोपनीय सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए 15 मई, 2025 को दो अभियुक्तों, मुकेश सक्सेना और अनीस अहमद को जनपद मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार अभियुक्तों का पर्दाफाश
मुकेश सक्सेना: उम्र 50 वर्ष, पुत्र शिवराज सक्सेना, निवासी श्री कृष्णा कॉलोनी, चंद्रनगर, थाना सिविल लाइन, जनपद मुरादाबाद।
अनीस अहमद: उम्र 39 वर्ष, पुत्र नशीर अहमद, निवासी धीमरी रोड, करुला, थाना कटघर, जनपद मुरादाबाद।
पूछताछ में हुआ बड़ा खुलासा
डीसीपी साइबर क्राइम प्रीति यादव के अनुसार, अभियुक्त मुकेश सक्सेना ने पूछताछ में बताया कि वह मुरादाबाद में अकाउंट्स का काम करता है। आर्थिक तंगी के कारण वह अनीस अहमद के संपर्क में आया। अनीस अहमद कमीशन के बदले करंट बैंक अकाउंट उपलब्ध कराता था, जिन्हें आगे अन्य अभियुक्तों को धोखाधड़ी के लिए दिया जाता था। इसी योजना के तहत अभियुक्तों ने मुकेश सक्सेना के खाते में पीड़ित से धोखाधड़ी कर 18 लाख रुपये ट्रांसफर करवाए, जिसे बाद में आपस में बांट लिया गया। पुलिस ने बताया कि गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
करोड़ों की अन्य धोखाधड़ी का जाल
जांच में यह भी सामने आया है कि अभियुक्त अनीस अहमद के बैंक खाते से संबंधित लगभग 12 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। एनसीआरपी पोर्टल पर जांच करने पर इस खाते से जुड़ी कुल 15 शिकायतें (दिल्ली-01, झारखंड-01, महाराष्ट्र-01, पंजाब-01, राजस्थान-02, तमिलनाडु-06, तेलंगाना-03) दर्ज पाई गईं।
वहीं, अभियुक्त मुकेश सक्सेना के बैंक खाते से संबंधित करीब 2 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का पता चला है, जिसके संबंध में एनसीआरपी पोर्टल पर कुल 18 शिकायतें (दिल्ली-01, महाराष्ट्र-04, राजस्थान-02, तमिलनाडु-02, तेलंगाना-01, आंध्र प्रदेश-01, कर्नाटक-02, उत्तर प्रदेश-03, पश्चिम बंगाल-03) दर्ज हैं। इन सभी मामलों में आवश्यक वैधानिक कार्रवाई की जा रही है।
पीड़ित को राहत: रिफंड प्रक्रिया जारी
पुलिस ने इस मामले में पीड़ित के साथ हुई धोखाधड़ी की रकम में से 6,72,237 रुपये फ्रीज करा दिए हैं और रिफंड की कार्यवाही प्रचलित है।
साइबर अपराध से बचाव: पुलिस की एडवाइजरी
नोएडा साइबर क्राइम थाना ने नागरिकों को ऐसे फ्रॉड से बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:
अज्ञात कॉल पर सतर्कता: किसी भी अज्ञात व्यक्ति द्वारा व्हाट्सएप कॉल या वीडियो कॉल पर पुलिस की वर्दी पहनकर बात करने पर तुरंत विश्वास न करें। उक्त मोबाइल नंबर और बताए गए नाम व पद को गूगल सर्च या संबंधित विभाग की वेबसाइट पर जांचें।
जानकारी साझा करने से पहले जांच: व्हाट्सएप कॉल या वीडियो कॉल पर कोई भी जानकारी साझा करने से पहले उक्त मोबाइल नंबर के विषय में निकटवर्ती साइबर सेल या संबंधित विभाग (जैसे नारकोटिक्स, फेडेक्स कूरियर, सीबीआई आदि) के हेल्प डेस्क से जांच पड़ताल करें।
फर्जी पार्सल कॉल: यदि आपने कोई पार्सल नहीं भेजा है और कोई कॉल करके कहता है कि आपके नाम का पार्सल मिला है जिसमें आपका आधार कार्ड या मोबाइल नंबर है, तो यकीन न करें। यह साइबर क्रिमिनल का कॉल हो सकता है। कानूनी कार्रवाई की धमकी पर घबराएं नहीं, तत्काल नजदीकी थाने में सूचना दें।
फर्जी बैंक खाता: यदि आपके आधार आईडी या नाम से कोई बैंक खाता खोले जाने की बात कही जाए, तो तत्काल संबंधित नजदीकी बैंक जाकर जानकारी लें और यदि ऐसा कोई खाता है तो उसे बंद कराएं।
हवाला/मनी लॉन्ड्रिंग का झांसा: यदि व्हाट्सएप कॉल या वीडियो कॉल द्वारा आपके खाते में हवाला या मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित धनराशि आने की बात कही जाए, तो विश्वास न करें। कोई भी सरकारी संस्था ऐसी जानकारी फोन पर नहीं देती।
फर्जी पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट: यदि व्हाट्सएप कॉल या वीडियो कॉल द्वारा आपके खाते की जांच के बाद कोई पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट की बात की जाती है, तो यह निश्चित तौर पर साइबर फ्रॉड है। अपराधी आपके खाते से पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं।
परिवार से साझा करें: किसी भी अज्ञात व्यक्ति द्वारा व्हाट्सएप कॉल या वीडियो कॉल कर डराया या धमकाया जाता है, तो इसकी जानकारी अपने परिवार के सदस्यों या रिश्तेदारों को अवश्य दें।