ग्रेटर नोएडा बिजली विभाग की लापरवाही अच्छेजा बुजुर्ग गांव में 7 साल के बच्चे के दोनों हाथ काटने पड़े 

Due to the negligence of Greater Noida electricity department, both the hands of a 7 year old child had to be amputated in Achheja Bujurg village

Partap Singh Nagar
4 Min Read
ग्रेटर नोएडा बिजली विभाग की लापरवाही अच्छेजा बुजुर्ग गांव में 7 साल के बच्चे के दोनों हाथ काटने पड़े 

Greater Noida News/ भारतीय टॉक न्यूज़: दनकौर के अच्छेजा बुजुर्ग गांव में एक मासूम की जिंदगी बिजली विभाग की लापरवाही की भेंट चढ़ गई। 7 साल के तैमूर ने 22 मई को अपने घर की छत पर खेलते समय 11 हजार वोल्ट की हाईटेंशन लाइन की चपेट में आकर जानलेवा करंट झेला। एक महीने से अधिक समय तक दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज चलने के बाद भी डॉक्टरों को उसके दोनों हाथ कोहनी से नीचे काटने पड़े। संक्रमण फैलने के कारण यह मुश्किल फैसला लेना पड़ा, लेकिन परिवार का आरोप है कि यह त्रासदी विभाग की अनदेखी का नतीजा है ।

कैसे हुआ हादसा?

तैमूर के पिता और गांव निवासी अधिवक्ता नौशाद के मुताबिक, घटना से पहले उन्होंने कई बार छत के ऊपर से गुजर रही हाईटेंशन लाइन को हटाने की शिकायत बिजली विभाग से की थी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 22 मई को तैमूर छत पर खेल रहा था कि अचानक लाइन से संपर्क होने पर करंट लगा। वह बुरी तरह झुलस गया और उसे तुरंत सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया। शरीर में संक्रमण फैलने के बाद डॉक्टरों ने जीवन बचाने के लिए उसके दोनों हाथ काटने का फैसला लिया ।

परिवार का आक्रोश और न्याय की मांग

नौशाद परिवार का कहना है कि अगर विभाग ने उनकी शिकायतों पर ध्यान दिया होता, तो आज तैमूर का यह हाल नहीं होता। उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें बिजली विभाग के अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन परिवार को डर है कि कहीं यह मामला भी दबाव या लालफीताशाही का शिकार न हो जाए ।

गांव में बिजली लाइनों का खतरा

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब बिजली लाइनों की लापरवाही से कोई हादसा हुआ है। गांव में पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन अधिकारियों ने कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाए। 11 हजार वोल्ट की लाइनें आज भी घरों के बेहद करीब से गुजर रही हैं, जो लोगों के लिए खतरा बनी हुई हैं ।

क्या कहते हैं डॉक्टर्स?

सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार, तैमूर के हाथों में गंभीर जलन और संक्रमण था, जिससे उसकी जान को खतरा था। ऐसे में अंग विच्छेदन ही एकमात्र विकल्प था। अब उसे लंबे समय तक फिजियोथेरेपी और कृत्रिम अंगों की जरूरत होगी, जिसका खर्च परिवार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है ।

यह घटना सिर्फ एक बच्चे की त्रासदी नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता की कहानी है। अगर बिजली विभाग ने शिकायतों पर समय रहते कार्रवाई की होती, तो तैमूर का बचपन इस तरह बर्बाद नहीं होता। अब सवाल यह है कि क्या इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?

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