नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ किसानों का धरना जारी: आश्वासनों पर भरोसा नहीं

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नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ किसानों का धरना जारी: आश्वासनों पर भरोसा नहीं

नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ किसानों का आंदोलन 40वें दिन में 

नोएडा, 19 नवंबर: नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ 81 गांव के किसानों का अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन 40वें दिन में प्रवेश कर गया है। भारतीय किसान यूनियन मंच के नेतृत्व में चल रहा यह आंदोलन, प्राधिकरण द्वारा किए गए वादों के बावजूद जारी है।

किसानों ने अधिकारियों से की मुलाकात, लेकिन…

मंगलवार को किसानों और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के बीच बैठक हुई। अधिकारियों ने किसानों को आश्वासन दिया कि कुछ मुद्दों का समाधान जल्द ही किया जाएगा, जैसे कि खसरेवार सर्वे, अतिरिक्त भूखंड के लिए धनराशि का वितरण, और कोटा स्कीम के तहत प्लॉट आवंटन। हालांकि, किसानों ने इन आश्वासनों पर भरोसा करने से इनकार कर दिया।

किसानों की मांगें पूरी होने तक धरना जारी रहेगा

भारतीय किसान यूनियन मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुधीर चौहान ने स्पष्ट किया कि किसानों की सभी मांगें पूरी होने तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि किसान अब प्राधिकरण के झूठे वादों में नहीं फंसेंगे।

किसानों की प्रमुख मांगें

  • खसरेवार सर्वे का शीघ्र पूरा होना
  • अतिरिक्त भूखंड के लिए धनराशि का वितरण
  • कोटा स्कीम के तहत प्लॉट आवंटन
  • जिन किसानों को प्लॉट आवंटित हुए हैं, उन्हें जमीन पर कब्जा दिलाया जाए

धरने में बड़ी संख्या में किसान शामिल

इस धरने में बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। किसानों ने एकजुट होकर प्राधिकरण के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। इस अवसर पर चाहत प्रधान राजवीर प्रधान बुलंदशहर जिला अध्यक्ष अमित प्रधान जोखाबाद, चरण सिंह प्रधान , डीपी चौहान सुरेंद्र प्रधान, गौतम लोहिया , मीडिया प्रभारी अशोक चौहान ,प्रदेश अध्यक्ष मानविंदर भाटी, वीर सिंह टाइगर, सुभाष चौहान, गजेंद्र बैसोया, रोहतास चौहान,अनुज कसाना, योगेश भाटी, प्रिंस भाटी, विमल त्यागी, आशीष चौहान ,राहुल पवार उमंग शर्मा, अमित बैसोया रिंकू यादव, सोनू लोहिया, अभिषेक चौहान,राजू चौहान, सत्येंद्र गुर्जर, राजपाल सिंह चौहान ऐके बसोया , अनिल चौहान राकेश चौहान दानिश सैफी पिंटू राजपूत सूरज लोकेश चौहान सोनू खारी जगबीर भाटी लोकेश चौहान लाल सिंह चौहान राकेश चौहान उत्तर प्रदेश महिला अध्यक्ष बबली शर्मा उषा चौहान,सपना चौहान सैकड़ो किसान धरने में शामिल हुए।

यह आंदोलन किसानों के संघर्ष का एक प्रतीक बन गया है और यह दिखाता है कि किसान अपने अधिकारों के लिए लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे।

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