Greater Noida/ Dadri/ भारतीय टॉक न्यूज़: उत्तर प्रदेश में आगामी जिला पंचायत चुनावों को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। गौतमबुद्धनगर के जिला पंचायत वार्ड नंबर 3 में समाजवादी पार्टी के युवा नेता और छात्र जिला अध्यक्ष मोहित नागर की दावेदारी ने चुनावी माहौल को गरमा दिया है। किसानों और छात्रों के मुद्दों पर संघर्ष से अपनी पहचान बनाने वाले मोहित नागर को मिल रहा जनसमर्थन विपक्षी प्रत्याशियों के लिए चर्चा का विषय बन गया है।

वॉर्ड 3, जो मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों पर आधारित है और इसमें चिटहरा , बील- नई बस्ती, छोलस छायसा और आसपास के कई गांव शामिल हैं, कुल लगभग 50,000 वोटरों का घर है। इन गांवों में कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था प्रमुख है, जहां किसानों की समस्याएं जैसे सिंचाई, भूमि अधिग्रहण और बुनियादी सुविधाओं की कमी लंबे समय से बनी हुई हैं। मोहित नागर का संघर्षपूर्ण सफर इन्हीं मुद्दों से जुड़ा होने के कारण जनता के बीच उनकी पैठ मजबूत हो रही है।
किसानों और छात्रों के संघर्ष से निकली सियासी पहचान
मोहित नागर का राजनीतिक सफर आंदोलनों और जमीनी संघर्षों से भरा रहा है। उन्होंने समाजवादी छात्र सभा के जिला अध्यक्ष के रूप में अपनी पहचान बनाई, लेकिन उनकी असली ताकत किसानों , छात्रों और आम जनता के मुद्दों पर उनकी मुखरता रही है। कई मौकों पर उन्होंने किसान संगठनों के साथ मिलकर धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व किया और किसानों और छात्रों की आवाज उठाने के कारण उन्हें महीनों जेल में भी रहना पड़ा। उनके इसी संघर्षशील स्वभाव ने उन्हें क्षेत्र में एक जुझारू और भरोसेमंद नेता के रूप में स्थापित किया है।
पार्टी नेतृत्व का भरोसा और जनता का समर्थन
मोहित नागर को समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का करीबी माना जाता है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कई जनसभाओं में बुलाकर सम्मान दिया, बल्कि उनके काम की सराहना भी की है। इसके अलावा, सांसद डिंपल यादव समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का मार्गदर्शन और स्नेह भी उन्हें मिलता रहा है। पार्टी के इस भरोसे ने उनके समर्थकों में एक नया जोश भर दिया है।
सामाजिक समीकरण और गांवों में बढ़ता प्रभाव
वार्ड नंबर 3, जिसमें चिटहेरा – कठेड़ा , दतावली जैसे कई प्रमुख गांव आते हैं, जातीय और सामाजिक समीकरणों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। इस वार्ड में लगभग 50,000 मतदाता हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो यहाँ गुर्जर (भाटी और अन्य) करीब 17,000, मुस्लिम करीब 9,000, और एससी समुदाय के करीब 12,000 वोटर का लगभग इतना आंकड़ा हैं। इसके अलावा ठाकुर, ब्राह्मण और अन्य पिछड़ी जातियों की भी अच्छी संख्या है। मोहित नागर को गुर्जर समाज के साथ-साथ मुस्लिम और एससी समुदायों का भी मजबूत समर्थन मिलता दिख रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सामाजिक समीकरण उनकी जीत का एक मजबूत आधार बन सकता है।

सभी बिरादरियों में स्वीकार्यता बनी ताकत
मोहित नागर की सबसे बड़ी ताकत उनकी सर्व-समाज में स्वीकार्यता मानी जा रही है। वह न केवल अपने समाज, बल्कि मुस्लिम, एससी, ब्राह्मण, ठाकुर और अन्य सभी बिरादरियों के कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। लोगों का कहना है कि उनकी ईमानदारी, सरल स्वभाव और हर किसी के सुख-दुख में साथ खड़े होने की आदत के कारण उन्हें सभी वर्गों का स्नेह और आशीर्वाद मिल रहा है। उनकी बढ़ती लोकप्रियता और मजबूत होता सामाजिक समीकरण विपक्षी खेमों में बेचैनी का कारण बन गया है, और सभी प्रमुख प्रत्याशी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने को मजबूर हो गए हैं।
वॉर्ड 3 के इन गांवों में बुनियादी सुविधाओं की कमी लंबे समय से एक बड़ा मुद्दा रहा है। नोएडा के शहरीकरण के बीच ये ग्रामीण इलाके पीछे छूट गए हैं, जहां सड़कें, बिजली और स्वास्थ्य सेवाएं अपर्याप्त हैं। मोहित नागर ने अपने प्रचार में इन मुद्दों को प्रमुखता दी है, वादा किया है कि जीतने पर वे किसानों के लिए बेहतर सिंचाई व्यवस्था, भूमि विवादों का समाधान और गांवों में आधुनिक सुविधाएं लाएंगे। उनकी यह दूरदृष्टि विपक्ष के उम्मीदवारों के पारंपरिक प्रचार को फीका कर रही है। राजनीतिक हलचलों के बीच मोहित नागर न केवल एक उम्मीदवार हैं, बल्कि वॉर्ड 3 के भविष्य की उम्मीद बन चुके हैं। चुनावी मैदान में उनकी बढ़ती ताकत से साफ है कि जनता का आशीर्वाद उन्हें मजबूत सामाजिक समीकरण दे सकता है, जो विपक्ष के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगा।
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