Noida News/ BT News: गौतमबुद्ध नगर,- हिंडन और यमुना नदियों के डूब क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुए अवैध निर्माण गौतमबुद्ध नगर जिले के लिए एक गंभीर खतरा बन गए हैं। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि बाढ़ की स्थिति में इन निर्माणों के कारण भारी जन-धन की हानि हो सकती है और अवैध निर्माणकर्ताओं को किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता या मुआवजा नहीं दिया जाएगा, बल्कि नुकसान की भरपाई भी उन्हीं से की जाएगी। लोगों से तत्काल इन अवैध ढांचों को हटाने की अपील की गई है।
डूब क्षेत्र में बेखौफ निर्माण: स्कूल से लेकर औद्योगिक प्लांट तक
सिंचाई विभाग और जिला प्रशासन के अनुसार, 30 से अधिक गांवों के डूब क्षेत्र में व्यापक स्तर पर अवैध निर्माण किए गए हैं। इनमें स्कूल, फार्म हाउस, क्रेशर प्लांट, हॉट मिक्स प्लांट, कंक्रीट रेडी मिक्स प्लांट और बदरपुर रेत की धुलाई के लिए हौदियां शामिल हैं। ये निर्माण न केवल नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित करते हैं बल्कि बाढ़ के समय गंभीर खतरा भी उत्पन्न करते हैं।
इन गांवों पर मंडरा रहा बाढ़ का खतरा
अधिकारियों द्वारा चिन्हित गांवों में छजारसी, चोटपुर, यूसुफपुर, चकशाहबेरी, बहलोलपुर, गढ़ी चौखंडी, हैबतपुर, परथला खंजरपुर, सोरखा जहीदाबाद, ककराला, अलीवर्दीपुर, जलपुरा, हल्द्वानी, कुलेसरा शामिल हैं। इसके अतिरिक्त हिंडन-यमुना दोआब बंध के निकट स्थित इलाहाबास, सूथियाना, शहदरा, लखनावली, बेगमपुर, मुबारकपुर, गुर्जरपुर, झट्टा बादोली बांगर, सफीपुर, चुहड़पुर, मोमनाथल, मोतीपुर, तिलवाड़ा, गढ़ी समस्तीपुर, बादौली खादर, कोंडली खादर, कामबक्शपुर, गुलावली, दोस्तपुर मंगरौली, और छपरौली आदि गांवों के डूब क्षेत्र भी अवैध निर्माण की चपेट में हैं।
सरकारी चेतावनी: न सुरक्षा, न मुआवजा, नुकसान की होगी वसूली
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि चूंकि ये निर्माण पूरी तरह से अवैध हैं, इसलिए बाढ़ की स्थिति में सिंचाई विभाग, जिला प्रशासन या शासन द्वारा किसी भी प्रकार की सुरक्षा या राहत प्रदान करना संभव नहीं होगा। बाढ़ से होने वाली किसी भी क्षति के लिए कोई सरकारी मुआवजा नहीं दिया जाएगा। इसके विपरीत, अवैध निर्माणों के कारण होने वाले नुकसान की वसूली उन लोगों से की जाएगी जिन्होंने ये निर्माण किए हैं।
तत्काल कार्रवाई की अपील
अधिकारियों ने संबंधित लोगों से अपील की है कि वे मानवीय और वित्तीय हानि से बचने के लिए इन अवैध निर्माणों को तुरंत हटा लें। यह कदम न केवल उनकी अपनी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि नदियों के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने और बाढ़ के प्रकोप को कम करने के लिए भी आवश्यक है।