Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा के बादलपुर CHC में जन्मी एक बच्ची की मौत ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। बच्ची को जन्म के तुरंत बाद गंभीर स्थिति में GIMS (गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय मेडिकल कॉलेज) रेफर किया गया, जहां से उसे CHILD PGI (चाइल्ड पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट) भेजा गया।
इलाज के लिए 13 हजार रुपये की मांग
CHILD PGI में बच्ची को भर्ती करने के लिए 13 हजार रुपये की मांग की गई, जो कि बच्ची के माता-पिता के पास नहीं थे। इस आर्थिक तंगी के कारण बच्ची को भर्ती नहीं किया गया और माता-पिता सात घंटे तक जिम्स और चाइल्ड पीजीआई के बीच भटकते रहे।
डॉक्टरों का नहीं पसीजा दिल
माता-पिता की इस दर्दनाक स्थिति के बावजूद, डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा और उन्होंने बच्ची को भर्ती करने से इंकार कर दिया। इस दौरान बच्ची की हालत और भी गंभीर होती गई, लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की।
इलाज की भागदौड़ में बच्ची की जान गई
आखिरकार, इलाज की भागदौड़ में बच्ची की जान चली गई। यह घटना न केवल बच्ची के माता-पिता के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ी त्रासदी है।
बादलपुर सीएचसी में जन्मी बच्ची को इलाज के लिए Gims रेफर किया गया। वहां से उसे सेक्टर 30 चाइल्ड पीजीआइ रेफर किया गया। यहां नवजात बच्ची को इसलिए नहीं भर्ती किया गया कि स्वजन के पास इलाज के लिए 13 हजार रूपये नहीं थे। इलाज की भागदौड़ में बच्ची की जान गई। @ssphpgti @brajeshpathakup pic.twitter.com/5kAhuvU9iA
— Mohd Bilal | ↕️ (@BilalBiswani) June 28, 2024
स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या आर्थिक तंगी के कारण किसी की जान जाना उचित है? क्या अस्पतालों का यह कर्तव्य नहीं है कि वे हर मरीज को उचित इलाज मुहैया कराएं, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो?
समाज और सरकार की जिम्मेदारी
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि समाज और सरकार को मिलकर ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जहां किसी भी मरीज को आर्थिक तंगी के कारण इलाज से वंचित न रहना पड़े। ग्रेटर नोएडा की इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि हमारे समाज में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति कितनी दयनीय है। यह समय है कि हम सभी मिलकर इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।