Delhi News /Supreme Court : भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) ने सुप्रीम कोर्ट में स्थापित न्याय की देवी की मूर्ति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का आदेश दिया है। इस बदलाव के तहत, मूर्ति से पारंपरिक आंखों की पट्टी हटा दी गई है, जो पारदर्शी न्याय का प्रतीक है। साथ ही, उनके हाथ में पकड़ी तलवार को हटाकर संविधान की एक प्रति रखी गई है, जो कानून के शासन को बल देने का संकेत है।
आंखों की पट्टी का हटना
न्याय की देवी की पारंपरिक आंखों की पट्टी को हटा दिया गया है। यह बदलाव न्याय के क्षेत्र में पारदर्शिता का प्रतीक है। अब यह दर्शाता है कि न्याय केवल दिखावे का नहीं, बल्कि वास्तविकता का भी है। यह निर्णय न्यायालय के प्रति जनता के विश्वास को और मजबूत करेगा।
तलवार की जगह संविधान की किताब
मूर्ति के हाथ में पहले मौजूद तलवार को हटाकर अब संविधान की किताब स्थापित की गई है। यह बदलाव कानून के शासन की प्राथमिकता को दर्शाता है। यह संकेत देता है कि न्याय का आधार बल नहीं, बल्कि संविधान और कानून है। इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका का उद्देश्य केवल न्याय करना नहीं, बल्कि संविधान की रक्षा करना भी है।
समाज में प्रभाव
इस बदलाव का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। यह न केवल न्यायपालिका की छवि को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं के प्रति भी जागरूकता बढ़ाएगा। CJI चंद्रचूड़ का यह निर्णय न्याय के प्रति एक नई दृष्टि प्रस्तुत करता है, जो कि लोकतंत्र की नींव को और मजबूत करेगा।
इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की मूर्ति में किए गए ये बदलाव न केवल प्रतीकात्मक हैं, बल्कि न्यायपालिका के मूल्यों और सिद्धांतों को भी पुनः स्थापित करते हैं।