Greater Noida / भारतीय टॉक न्यूज़: ग्रेटर नोएडा के सेक्टर टेकजोन-4 स्थित हैबीटेक इंफ्रास्ट्रक्चर बिल्डर पर अपने आवंटियों के साथ मनमानी करने और लिखित वादों को पूरा न करने का आरोप लगा है। आवंटियों की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डर प्रबंधन को नोटिस जारी किया है और तीन दिनों के भीतर जवाब तलब किया है। जवाब न मिलने की स्थिति में प्राधिकरण बिल्डर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकता है।
बिल्डर पर वादे पूरे न करने का आरोप
हैबीटेक इंफ्रास्ट्रक्चर के आवंटियों का आरोप है कि बिल्डर लंबे समय से मनमानी कर रहा है। आवंटन के समय बिल्डर द्वारा किए गए लिखित वादों का पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे निवासियों को रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं से त्रस्त होकर आवंटियों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में बिल्डर प्रबंधन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
सीआरसी होम्स के साथ मिलकर नई परियोजना बनी परेशानी का सबब
आवंटियों ने अपनी शिकायत में बताया है कि हैबीटेक बिल्डर ने सीआरसी होम्स के साथ मिलकर एक नई परियोजना शुरू की है। इस नई परियोजना के कारण पुराने आवंटियों को अपनी ही सोसाइटी में प्रवेश करने और पार्किंग में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आरोप है कि आवंटियों को बिना पार्किंग आवंटित किए ही फ्लैटों का कब्जा दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, शिकायत में यह भी कहा गया है कि भूखंड मूल रूप से हैबीटेक इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर आवंटित किया गया था, लेकिन बिल्डर इस जमीन पर सीआरसी होम्स के नाम से निर्माण कार्य कर रहा है और फ्लैटों की बिक्री भी कर रहा है, जो कि आवंटन की शर्तों का उल्लंघन हो सकता है।
प्राधिकरण ने भेजा नोटिस, कार्रवाई की चेतावनी
आवंटियों द्वारा की गई गंभीर शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने मामले का संज्ञान लिया है। प्राधिकरण ने हैबीटेक इंफ्रास्ट्रक्चर बिल्डर प्रबंधन को तत्काल एक नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में बिल्डर से तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया है। प्राधिकरण ने साफ किया है कि यदि निर्धारित समय सीमा में बिल्डर संतोषजनक जवाब दाखिल नहीं करता है, तो उसके खिलाफ बड़ी कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है।
आवंटियों की मांग: परमिशन रद्द हो, जुर्माना लगे
परेशान आवंटियों ने प्राधिकरण से मांग की है कि बिल्डर द्वारा की जा रही अनियमितताओं को देखते हुए उसे दी गई निर्माण और बिक्री की अनुमति (परमिशन) को रद्द किया जाए। साथ ही, आवंटियों को हो रही परेशानी और कथित नियमों के उल्लंघन के लिए बिल्डर पर भारी जुर्माना भी लगाया जाए।