ग्रेटर नोएडा: डे-केयर में हैवानियत की हदें पार, सहायिका ने 15 माह की मासूम को पीटा, पटका और जांघ पर दांतों से काटा

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Partap Singh Nagar
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ग्रेटर नोएडा: डे-केयर में हैवानियत की हदें पार, सहायिका ने 15 माह की मासूम को पीटा, पटका और जांघ पर दांतों से काटा

Greater Noida News/ भारतीय टॉक न्यूज़:  ग्रेटर नोएडा की एक पॉश सोसायटी के डे-केयर सेंटर में 15 महीने की बच्ची के साथ क्रूरता का दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक नाबालिग सहायिका ने मासूम बच्ची को न सिर्फ थप्पड़ों और प्लास्टिक के बैट से बेरहमी से पीटा, बल्कि उसकी जांघों पर दांतों से काटकर गंभीर जख्म दे दिए। बच्ची की मां की शिकायत पर पुलिस ने डे-केयर संचालिका और आरोपी सहायिका के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

यह भयावह घटना सेक्टर-137 स्थित पारस टियरा सोसायटी में चल रहे ‘ब्लिपी डे-केयर’ की है। बच्ची की मां मोनिका देवी के अनुसार, वह अपनी बेटी वेदांशी को रोजाना कुछ घंटों के लिए इस डे-केयर में छोड़ती थीं। 4 अगस्त को जब वह बेटी को घर लाईं तो वह लगातार रोए जा रही थी। कपड़े बदलते समय उन्होंने बच्ची की दोनों जांघों पर काटने के गहरे निशान देखे, जिसे देखकर उनके होश उड़ गए। डॉक्टर से पुष्टि होने पर कि ये निशान दांतों से काटने के हैं, उन्होंने डे-केयर संचालिका से संपर्क किया।

CCTV फुटेज में कैद हुई दरिंदगी

मोनिका का आरोप है कि जब उन्होंने डे-केयर संचालिका चारु और सहायिका से इस बारे में पूछा तो दोनों ने उनके साथ अभद्रता की और धमकी दी। शुरुआत में संचालिका ने सीसीटीवी फुटेज दिखाने से इनकार कर दिया, लेकिन अन्य लोगों के विरोध के बाद वह फुटेज दिखाने को तैयार हुई।

सीसीटीवी फुटेज में जो दिखा, वह किसी के भी रोंगटे खड़े कर देने के लिए काफी था। फुटेज में नाबालिग सहायिका पहले बच्ची को थप्पड़ मारती है, फिर उसे जमीन पर पटक देती है। इसके बाद वह प्लास्टिक के बैट से उसकी पिटाई करती है और फिर झुककर उसकी जांघ पर अपने दांत गड़ा देती है, जिससे बच्ची दर्द से चीखने लगती है। हैरान करने वाली बात यह है कि इस पूरी घटना के दौरान संचालिका मौके पर मौजूद नहीं थी।

लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैया

मामले की जांच कर रही सेक्टर-142 कोतवाली पुलिस ने बताया कि आरोपी सहायिका नाबालिग है। डे-केयर संचालिका ने एक नाबालिग को लगभग 12 बच्चों की संवेदनशील जिम्मेदारी सौंपकर घोर लापरवाही बरती है। सोसायटी के निवासियों का यह भी आरोप है कि सहायिका की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और इस तरह की शिकायतें पहले भी मिल चुकी हैं। यह डे-केयर एक किराये के फ्लैट में चलाया जा रहा था और प्रति बच्चे साढ़े तीन हजार रुपये महीना फीस ली जाती थी।

पुलिस ने संचालिका चारु और नाबालिग सहायिका के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है और सभी पहलुओं पर गहनता से जांच कर रही है।

डे-केयर चुनते समय माता-पिता बरतें ये सावधानियां

यह घटना उन सभी अभिभावकों के लिए एक चेतावनी है जो अपने बच्चों को डे-केयर भेजते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, डे-केयर में बच्चों को भेजने से पहले इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है:

🔸लाइसेंस और पंजीकरण: सुनिश्चित करें कि डे-केयर सेंटर सरकार के साथ पंजीकृत है और उसके पास वैध लाइसेंस है।

🔸स्टाफ की योग्यता: कर्मचारियों के व्यवहार और उनकी योग्यता के बारे में पूरी जानकारी लें।

🔸सुरक्षा व्यवस्था: डे-केयर में सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षित प्रवेश-निकास और प्राथमिक उपचार (First-Aid) की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

🔸बच्चे पर ध्यान दें: बच्चे के व्यवहार में आ रहे बदलावों पर नजर रखें और उससे डे-केयर की गतिविधियों के बारे में प्यार से बात करें।

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