Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया है। एक भू-परामर्शदाता पर रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप लगे हैं। उच्च न्यायालय ने इस मामले में जांच के आदेश दिए थे, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
मामला क्या है?
ग्रेटर नोएडा के हबीबपुर में एक सोसायटी के 10 प्रतिशत प्लॉट आवंटन के मामले में यह विवाद हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए प्लॉट आवंटन का आदेश दिया था। लेकिन, प्राधिकरण के अधिकारी इस आदेश का पालन नहीं कर रहे थे। आरोप है कि भू-परामर्शदाता याचिकाकर्ताओं से प्लॉट आवंटन के लिए 1500 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से रिश्वत मांग रहा था।
उच्च न्यायालय का आदेश
याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए भू-परामर्शदाता के खिलाफ रिश्वत मांगने के आरोपों की जांच का आदेश दिया। प्राधिकरण के सीईओ को इस मामले में जांच करवाकर हलफनामा दाखिल करने को कहा गया।
जांच अधूरी, समय वृद्धि का सवाल
हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। जांच अधूरी है और भू-परामर्शदाता का कार्यकाल बढ़ाने की तैयारी चल रही है। यह सवाल उठता है कि जिस अधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हों, उसका कार्यकाल क्यों बढ़ाया जा रहा है?
चिंताजनक स्थिति
यह मामला ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। यदि ऐसे आरोपों में लिप्त अधिकारियों को संरक्षण दिया जाता है तो आम जनता का विश्वास न्यायपालिका और प्रशासन दोनों पर से उठ जाएगा।
क्या आगे?
इस मामले में प्राधिकरण को पारदर्शी तरीके से जांच करवाकर दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, भू-परामर्शदाता का कार्यकाल बढ़ाने के फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
यह मामला एक बार फिर से यह साबित करता है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे।