Greater Noida News/ BharatiyaTalk News:ग्रेटर नोएडा, 25 जून 2025: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अपने सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) को अत्याधुनिक ऑनलाइन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम से लैस करने जा रहा है। इस हाई-टेक प्रणाली से अधिकारी अब अपने कार्यालय से ही सभी एसटीपी के संचालन और पानी की गुणवत्ता पर चौबीसों घंटे नजर रख सकेंगे।
इस महत्वपूर्ण परियोजना की शुरुआत बादलपुर स्थित 2 MLD (मिलियन लीटर प्रतिदिन) क्षमता वाले एसटीपी से हो चुकी है, जिसे सफलतापूर्वक ऑनलाइन सिस्टम से जोड़ दिया गया है। यह पहल केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘नमामि गंगे’ परियोजना का हिस्सा है, जिसके तहत प्रदेश के सभी एसटीपी को प्रदूषण नियंत्रण के लिए ऑनलाइन किया जा रहा है।
प्राधिकरण के सीईओ श्री एनजी रवि कुमार ने जल/सीवर विभाग को इस कार्य में तेजी लाने के सख्त निर्देश दिए हैं। अगले चरण में, सेक्टर ईकोटेक-2 (15 MLD) और ईकोटेक-3 (20 MLD) स्थित एसटीपी पर यह सिस्टम अगले दो हफ्तों में स्थापित कर दिया जाएगा। इसके बाद, कासना स्थित सबसे बड़े 137 MLD क्षमता वाले एसटीपी को भी एक महीने के भीतर इस प्रणाली से लैस करने की योजना है, जिसके लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
प्राधिकरण के अनुसार, प्रत्येक एसटीपी पर इस ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम को स्थापित करने में लगभग 30 लाख रुपये का खर्च आएगा, जिसका वहन प्राधिकरण स्वयं करेगा। प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक (जल/सीवर) विनोद शर्मा ने बताया कि इस सिस्टम के माध्यम से ट्रीटेड पानी के बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) और केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (COD) जैसे महत्वपूर्ण मापदंडों की रियल-टाइम जानकारी सीधे अधिकारियों के कंप्यूटर और मोबाइल पर उपलब्ध होगी। यह सिस्टम एक साथ छह डिवाइस (मोबाइल या लैपटॉप) से कनेक्ट हो सकता है, जिससे प्राधिकरण के अलावा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नमामि गंगे परियोजना के अधिकारी भी इसकी सीधी निगरानी कर सकेंगे।
एसटीपी और उनकी क्षमता:
बादलपुर: 2 एमएलडी
कासना: 137 एमएलडी
ईकोटेक-2: 15 एमएलडी
ईकोटेक-3: 20 एमएलडी
इस योजना पर बात करते हुए, एसीईओ प्रेरणा सिंह ने कहा, “सभी एसटीपी को ऑनलाइन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम से लैस करने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है। बादलपुर में इसे शुरू कर दिया गया है। इस तकनीक से एसटीपी के संचालन और पानी की गुणवत्ता की निगरानी बहुत पारदर्शी और प्रभावी हो जाएगी।”
यह कदम ग्रेटर नोएडा में सीवेज प्रबंधन को न केवल आधुनिक बनाएगा, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि यमुना और अन्य जल स्रोतों में केवल स्वच्छ और उपचारित जल ही छोड़ा जाए।