ग्रेटर नोएडा बनेगा सेमीकंडक्टर हब: तीन कंपनियों को मिली मंजूरी

Partap Singh Nagar
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ग्रेटर नोएडा बनेगा सेमीकंडक्टर हब: तीन कंपनियों को मिली मंजूरी

Greater Noida News : उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में अब सेमीकंडक्टर का पहला पार्क स्थापित होने जा रहा है। यमुना विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अरुण वीर सिंह ने जानकारी दी है कि जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास कीन्स सेमीकॉम प्राइवेट लिमिटेड और वामा सुंदरी इन्वेस्टमेंट को 50-50 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। इसके अलावा, सेक्टर 28 में टर्क कंपनी को 125 एकड़ जमीन दी जाएगी। इस परियोजना के लिए तीन कंपनियों को मंजूरी मिल गई है और अब इसकी प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी।

कंपनियों का अनुमोदन

यूपी सरकार ने सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए कुल 225 एकड़ जमीन पर तीन कंपनियों को मंजूरी दी है। अरुण वीर सिंह ने बताया कि इन कंपनियों का अनुमोदन भारत सरकार को भेजा गया है। निर्माण कार्य की देख-रेख समय-समय पर की जाएगी, और जिन कंपनियों को यह जिम्मेदारी दी गई है, उन पर भी नजर रखी जाएगी।

रोजगार और उत्पादन क्षमता

वामा सुंदरी इन्वेस्टमेंट 50 एकड़ में सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करने की योजना बना रही है, जिसमें 13,780 लोगों को रोजगार मिलेगा। यह कंपनी प्रतिमाह 2.40 लाख चिप का उत्पादन करेगी, जिसके लिए 19 मेगावाट बिजली और 2000 एमएलडी पानी की आवश्यकता होगी। दूसरी ओर, कीन्स सेमीकॉम प्राइवेट लिमिटेड भी 50 एकड़ में अपनी यूनिट स्थापित करेगी, जबकि टर्क कंपनी को 125 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। इन सभी कंपनियों को 40,000 से 80,000 करोड़ रुपए तक का निवेश करना होगा।

ऑटोमोबाइल सेक्टर में बदलाव

अरुण वीर सिंह ने बताया कि सेमीकंडक्टर, जो सिलिकॉन चिप्स के रूप में होती हैं, का उपयोग कंप्यूटर, सेलफोन, गैस टेस्ट और वाहनों में किया जाता है। चिप्स के उत्पादन में वृद्धि के लिए ऑटोमोबाइल सेक्टर में बड़े स्तर पर बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है। रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण चिप्स की कमी के चलते देश में इसकी वेटिंग बढ़ गई है। सेमीकंडक्टर यूनिट्स के निर्माण से इन आवश्यक चिप्स की कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी।

आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम

ग्रेटर नोएडा का यह सेमीकंडक्टर पार्क देश को प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। यह परियोजना न केवल स्थानीय रोजगार सृजन करेगी, बल्कि भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में एक मजबूत स्थान दिलाने में भी मदद करेगी।

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