Meerut / Uttar Pradesh / भारतीय टॉक न्यूज़: गुर्जर समाज के स्वाभिमान और ऐतिहासिक पहचान की रक्षा के लिए रविवार को मेरठ में आयोजित महापंचायत में हजारों की संख्या में लोग उमड़ पड़े, जिससे प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। यह विशाल जमावड़ा किसी जाति-विशेष के विरोध में नहीं, बल्कि अपने गौरवशाली इतिहास और सम्मान पर हो रहे हमलों के खिलाफ एक सशक्त हुंकार थी। समाज के लोगों ने एक स्वर में कहा कि वे अपनी विरासत के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे।
महापंचायत की पृष्ठभूमि में हाल ही में हुआ वह विवाद है, जब मेरठ के कपसाड़ गांव में सम्राट मिहिर भोज के नाम वाले बोर्ड से ‘गुर्जर’ शब्द हटाकर ‘राजपूत’ लिख दिया गया था। इसी घटना ने आग में घी का काम किया और गुर्जर समाज में भारी आक्रोश फैल गया। महापंचायत में शामिल लोगों का स्पष्ट कहना था कि जब इतिहास और परंपरा से जुड़ी पहचान को राजनीतिक स्वार्थ के लिए बदलने की कोशिश की जाएगी, तो समाज चुप नहीं बैठेगा।
“बिरादरी पहले, राजनीति बाद में”: समाज के लोगों का बयान
महापंचायत में शामिल हुए गुर्जर समाज के कई लोगों ने अपनी पीड़ा और गुस्से का इजहार किया। एक बुजुर्ग ने कहा, “यह लड़ाई किसी कौम से नहीं, बल्कि उस मानसिकता से है जो हमारे इतिहास को मिटाना चाहती है। सम्राट मिहिर भोज हमारे पूर्वज हैं और इस सच्चाई को कोई नहीं बदल सकता।”
एक अन्य युवा नेता ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “हम भी भाजपा को मानते हैं और वोट देते हैं, लेकिन हमारे लिए हमारी बिरादरी पहले है। सरकार और स्थानीय नेता एकतरफा कार्रवाई कर रहे हैं। हमारे समाज का बोर्ड हटवा दिया जाता है और दूसरे समाज का लगवा दिया जाता है, क्या यही न्याय है?” उन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार और स्थानीय नेताओं को चेताया कि समाज का अपमान करके राजनीतिक रोटियां सेंकने का प्रयास बहुत महंगा पड़ेगा।
प्रशासन की सख्ती और सैकड़ों गिरफ्तारियां
महापंचायत को लेकर प्रशासन पहले से ही सकते में था और उसने आयोजन की अनुमति नहीं दी थी। पंचायत स्थल की ओर जाने वाले कई नेताओं को रास्ते में ही हिरासत में ले लिया गया, जिसमें राष्ट्रीय गुर्जर समाज संघर्ष समिति के अध्यक्ष रविंद्र भाटी भी शामिल थे। इस कार्रवाई के बाद भीड़ और अधिक उग्र हो गई। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुईं, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया। गुर्जर समाज की एकजुटता का आलम यह था कि सैकड़ों लोगों ने अपने सम्मान की लड़ाई में गिरफ्तारी दी। eyewitnesses के अनुसार, 250 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया।
राजनीतिक साजिश का आरोप
गुर्जर नेताओं ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुछ ताकतें जानबूझकर दो जातियों को आपस में लड़ाकर सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने की साजिश रच रही हैं। उनका कहना था कि यह विवाद केवल एक बोर्ड का नहीं, बल्कि गुर्जर समाज को राजनीतिक रूप से कमजोर करने और उनके आत्मसम्मान पर चोट करने का एक सोचा-समझा प्रयास है।
महापंचायत के माध्यम से गुर्जर समाज ने यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वे एकजुट हैं और अपने हक और सम्मान की लड़ाई हर कीमत पर लड़ेंगे। समाज ने संकल्प लिया कि वे अपनी ऐतिहासिक विरासत को धूमिल नहीं होने देंगे और हर बार की तरह इस बार भी अपना हक लेकर रहेंगे।