इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: गुलावली गांव की 980 बीघा जमीन ग्राम सभा को वापस, 400 करोड़ की संपत्ति का निरस्त हुआ अवैध आवंटन

Historic decision of Allahabad High Court: 980 bigha land of Gulavali village returned to Gram Sabha, illegal allotment of property worth Rs 400 crore cancelled

Bharatiya Talk
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इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: गुलावली गांव की 980 बीघा जमीन ग्राम सभा को वापस, 400 करोड़ की संपत्ति का निरस्त हुआ अवैध आवंटन

Greater Noida / भारतीय टॉक न्यूज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के समीप स्थित गुलावली गांव में 1990 में किए गए 164 पट्टों के आवंटन को अवैध ठहराते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट ने करीब 980 बीघा भूमि को ग्राम सभा के नाम वापस दर्ज करने का आदेश दिया है। इस जमीन की मौजूदा बाजार कीमत लगभग 400 करोड़ रुपये आंकी जा रही है। यह फैसला तीन दशक से चले आ रहे कानूनी विवाद का अंत करता है और ग्रामीणों के अधिकारों को मजबूती प्रदान करता है।

1990 में विवादित आवंटन

गुलावली गांव की ग्राम पंचायत ने 1989 में 980 बीघा भूमि पर 164 पट्टों का प्रस्ताव तैयार किया था। मई 1990 में सिकंदराबाद के एसडीएम ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। हालांकि, जून 1990 में दूसरे पक्ष ने एडीएम बुलंदशहर की कोर्ट में इस आवंटन को चुनौती दी। आरोप लगाया गया कि पट्टों का आवंटन अपात्रों को किया गया और लाभार्थियों में अधिकतर ग्राम सभा के निवासी नहीं थे।

तीन दशक से जारी कानूनी लड़ाई

1994 में एडीएम बुलंदशहर की कोर्ट ने पट्टों के आवंटन को अवैध करार देते हुए निरस्त कर दिया। मेरठ कमिश्नर कोर्ट ने भी एडीएम के फैसले को सही ठहराया। हालांकि, बोर्ड ऑफ रेवन्यू ने पट्टों के आवंटन को बहाल कर दिया, जिसे गांव के दूसरे पक्ष ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस अवैध आवंटन को पूरी तरह से रद्द कर दिया है और जिला प्रशासन को जमीन को ग्राम सभा के नाम दर्ज कराने का आदेश दिया है।

नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे कीमती जमीन

गुलावली गांव नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे स्थित है, जिससे इस जमीन की कीमत लगभग 40,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर हो गई है। इस जमीन की कुल कीमत 400 करोड़ रुपये से अधिक आंकी जा रही है। यह जमीन न केवल आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अहम है।

प्रशासन करेगा हाईकोर्ट के आदेश का पालन

गौतमबुद्ध नगर के सहायक अभिलेख अधिकारी भैरपाल सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार कार्रवाई की जाएगी और जमीन को सरकार के नाम दर्ज कराया जाएगा। यह फैसला न केवल ग्रामीणों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि अवैध आवंटन के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी देता है।

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