(Allahabad High Court) \ Noida News : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में कृषि भूमि की बिक्री पर लगाए गए विवादास्पद प्रतिबंधों को रद्द कर दिया है। यह निर्णय न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ द्वारा सुनाया गया, जो उन क्षेत्रीय भूमि मालिकों के लिए एक बड़ी जीत है, जो पिछले तीन वर्षों से अपनी भूमि बेचने के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे थे।
मामला क्या है?
यह मामला गौतमबुद्ध नगर जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) द्वारा 30 सितंबर 2020 को पारित एक प्रस्ताव पर आधारित था। इस प्रस्ताव का उद्देश्य बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण को रोकना था, जिसके तहत भूमि मालिकों को किसी भी बिक्री कार्यवाही से पहले अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्राप्त करने की आवश्यकता थी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ये प्रतिबंध मनमाने थे और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
कोर्ट का निर्णय
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पाया कि प्रतिबंध न केवल दमनकारी हैं, बल्कि कानूनी आधार से भी रहित हैं। पीठ ने कहा कि यूपी औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम, 1976 और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत ऐसे व्यापक प्रतिबंधों को लागू करने की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार की बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण के बारे में चिंता वैध है, लेकिन इसे संबोधित करने का तरीका गलत था।
फैसले का प्रभाव
इस फैसले का व्यापक प्रभाव पड़ेगा, खासकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में। यह निर्णय उन भूमि मालिकों के लिए राहत प्रदान करता है, जो प्रतिबंधात्मक विनियमों के कारण अपनी संपत्ति बेचने में असमर्थ थे। कानूनी विशेषज्ञों ने इसे संपत्ति मालिकों के मौलिक अधिकारों की पुनर्पुष्टि के रूप में स्वागत किया है।
सरकार की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक कोर्ट के फैसले पर आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि सरकार इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने पर विचार कर सकती है। फिलहाल, भूमि मालिक बिना एनओसी के अपनी कृषि भूमि की बिक्री कर सकते हैं, जिससे रियल एस्टेट बाजार में पुनर्जीवित होने की संभावना है।