Greater Noida News/ भारतीय टॉक न्यूज़ : उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार किसी उपलब्धि के लिए नहीं, बल्कि एक शर्मसार कर देने वाली घटना के कारण। अस्पताल के मेडिसिन वार्ड के बाथरूम में एक मरीज के तड़पने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ग्रेटर नोएडा के जिम्स हॉस्पिटल में मरीजों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। वार्डों का हाल बदतर है, मरीजों को देखभाल का अभाव है। हाई-रिस्क टीबी और गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल रहा। उत्तर प्रदेश सरकार हर साल इस अस्पताल पर करोड़ों रुपये खर्च करती है, फिर भी… pic.twitter.com/osCTCzcqUh
— BT News |Bharatiya Talk| (@BharatiyaTalk) May 31, 2025
वायरल वीडियो की सच्चाई और दर्दनाक मंजर
घटना का विवरण: वायरल हो रहा वीडियो जिम्स परिसर के तीसरे तल पर स्थित मेडिसिन वार्ड के बाथरूम का बताया जा रहा है। वीडियो में एक मरीज जमीन पर पड़ा दर्द से कराहता और मदद के लिए जोर-जोर से हाथ पटकता दिख रहा है। उसकी बेबसी और लाचारी देखकर किसी का भी दिल दहल सकता है।
प्रत्यक्षदर्शी का बयान: सेक्टर अल्फा-2 के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष सुभाष भाटी ने इस घटना की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले उन्होंने एक लावारिस बीमार व्यक्ति को जिम्स में भर्ती कराया था। जब वे उसे फल देने अस्पताल पहुंचे, तो उन्हें मेडिसिन वार्ड के बाथरूम से किसी के कराहने की आवाज सुनाई दी। जाकर देखा तो वही मरीज बाथरूम में गिरा पड़ा था और मदद की गुहार लगा रहा था। श्री भाटी के अनुसार, उस समय आसपास कोई भी स्वास्थ्यकर्मी उसकी मदद के लिए मौजूद नहीं था और वार्ड के कर्मचारी कथित तौर पर आराम फरमा रहे थे।
अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया और बचाव
निदेशक का स्पष्टीकरण: मामले के तूल पकड़ने के बाद जिम्स के निदेशक डॉ. ब्रिगेडियर राकेश गुप्ता ने इस पर संज्ञान लेने की बात कही है। उनका कहना है कि उक्त मरीज मनोविकृति से पीड़ित और बेसहारा है, जिसे किसी ने अस्पताल में छोड़ दिया है। डॉ. गुप्ता ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोगों द्वारा अस्पताल को बदनाम करने के लिए यह वीडियो वायरल किया गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि मरीज के इलाज की कोशिश की जा रही है।
उठते सवाल और व्यवस्था पर चिंता
लापरवाही या साजिश?: यह घटना अस्पताल में मरीजों की देखभाल और कर्मचारियों की संवेदनशीलता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। यदि मरीज सचमुच मनोविकृत है, तो उसे और भी अधिक देखभाल और सहानुभूति की आवश्यकता होती है। ऐसे में कर्मचारियों का आराम फरमाना और मरीज का इस हालत में पाया जाना घोर लापरवाही का प्रतीक है।
जवाबदेही की आवश्यकता: अस्पताल प्रशासन का “बदनाम करने की साजिश” वाला बयान मामले की गंभीरता को कम करने का प्रयास प्रतीत होता है। आवश्यकता इस बात की है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो और यदि कोई दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और मरीजों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।