Greater Noida/ भारतीय टॉक न्यूज़: शारदा विश्वविद्यालय की बीडीएस की छात्रा ज्योति शर्मा की आत्महत्या के मामले ने पूरे शिक्षा जगत को झकझोर कर रख दिया है। अब इस संवेदनशील मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए डेंटल विभाग के डीन डॉ. एम. सिद्धार्थ सहित चार और प्रोफेसरों को निलंबित कर दिया है। इससे पहले भी दो प्रोफेसरों को सस्पेंड किया जा चुका है।
प्रबंधन द्वारा निलंबित किए गए नए प्रोफेसरों में प्रो. डॉ. अनुराग अवस्थी, सहायक प्रो. डॉ. सुरभि, डीन डॉ. एम. सिद्धार्थ और प्रो. डॉ. आशीष चौधरी शामिल हैं। यह निर्णय सोमवार को विश्वविद्यालय जांच समिति द्वारा फैकल्टी और छात्रों से विस्तृत पूछताछ के बाद लिया गया।
छात्रा का सुसाइड नोट बना जांच की अहम कड़ी
21 वर्षीय ज्योति शर्मा ने शुक्रवार शाम अपने हॉस्टल के कमरे में फंदा लगाकर जान दे दी थी। सुसाइड नोट में उसने आरोप लगाया था कि विभाग के कुछ प्रोफेसर उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे। इस मामले ने जैसे ही तूल पकड़ा, छात्रा के पिता रमेश जांगड़ा ने कोतवाली में डीन, एचओडी, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने सहायक प्रोफेसर डॉ. शैरी वशिष्ठ और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. महेन्द्र सिंह चौहान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इन दोनों को आत्महत्या के लिए उकसाने और प्रताड़ना के आरोप में नामजद किया गया है।
BDS विभाग फिलहाल बंद, रिपोर्ट के बाद होगा दोबारा खुलासा
इस पूरे घटनाक्रम के चलते बीडीएस विभाग को सील कर दिया गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस ने संयुक्त रूप से निर्णय लिया है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, विभाग दोबारा नहीं खोला जाएगा। पुलिस की टीम ने वार्डन, फैकल्टी और छात्रों से पूछताछ कर आवश्यक तथ्य जुटाए हैं।
विश्वविद्यालय की आंतरिक जांच समिति ने पुलिस अधिकारियों से रिपोर्ट जमा करने के लिए 5 दिन का समय मांगा था। यह समयसीमा बुधवार को पूरी हो रही है। सूत्रों के मुताबिक, जांच रिपोर्ट लगभग तैयार हो चुकी है और जल्द ही संबंधित अधिकारियों को सौंप दी जाएगी।
छात्रों और सामाजिक संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन
इस मामले ने सिर्फ कैंपस के भीतर ही नहीं, बल्कि पूरे शहर में आक्रोश फैला दिया है। सोमवार को अधिवक्ताओं, छात्र संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम ज्ञापन सौंपा।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो नॉलेज गेट के बाहर बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। अधिवक्ता पवन भाटी ने कहा, “ज्योति के पिता ने बार-बार विश्वविद्यालय जाकर माफी भी मांगी, इसके बावजूद उत्पीड़न नहीं रुका। सरकार को इस मामले की मजिस्ट्रेट जांच करानी चाहिए।”
इस विरोध में दर्जनों छात्र और स्थानीय लोग शामिल हुए, जिन्होंने न्याय की गुहार लगाई।
पुनः शुरू होंगी कक्षाएं और परीक्षाएं
विश्वविद्यालय प्रशासन ने सोमवार और मंगलवार को प्रस्तावित सभी परीक्षाएं व शैक्षणिक गतिविधियां स्थगित कर दी थीं। अब जानकारी दी गई है कि 23 जुलाई से कक्षाएं फिर से शुरू की जाएंगी और परीक्षाएं पुनः आयोजित होंगी।
एक छात्रा की मौत ने खड़े किए बड़े सवाल?
ज्योति शर्मा की आत्महत्या ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारे शिक्षण संस्थानों में छात्रों की मानसिक सेहत, सुरक्षा और सम्मान को प्राथमिकता दी जा रही है? क्या विश्वविद्यालयों में छात्रों की बात सुनी जाती है या उन्हें दबा दिया जाता है?
इस मामले ने न केवल संस्थान के अंदर की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी स्पष्ट किया है कि अगर मानसिक उत्पीड़न पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो परिणाम बेहद दुखद हो सकते हैं।