Kanwar Yatra 2024: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के उस निर्देश पर रोक लगाते हुए अंतरिम आदेश जारी किया है जिसमें कहा गया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों और भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने होंगे। अदालत एनजीओ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने निर्देश को चुनौती दी थी।
महुआ मोइत्रा की याचिका
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने यह तर्क देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया कि यह निर्देश सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाता है और इसका उद्देश्य मुस्लिम दुकान मालिकों का सामाजिक रूप से लागू आर्थिक बहिष्कार करना है। मोइत्रा का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि एफएसएसएआई के नियमों में केवल कैलोरी मानों के प्रदर्शन की आवश्यकता होती है और क्या भोजन शाकाहारी है या मांसाहारी।
अदालत की टिप्पणियाँ
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने कहा कि निर्देश को भेदभावपूर्ण और संवैधानिक मानदंडों के विपरीत के रूप में देखा जा सकता है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि खाद्य विक्रेताओं को मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। अगली सुनवाई 26 जुलाई को निर्धारित है, जिसमें राज्य सरकारों को नोटिस जारी किए गए हैं जहां यात्राएं होती हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस निर्देश की विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के कुछ सहयोगियों ने व्यापक आलोचना की है। एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे विभाजनकारी बताया। माकपा नेता वृंदा करात ने इसकी तुलना नाजी जर्मनी की प्रथाओं से की, जबकि टीवी अभिनेता सोनू सूद और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी अपनी असहमति जताई।
कांवड़ यात्राः सद्भाव का प्रतीक
कुंभनगरी हरिद्वार से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा एक महत्वपूर्ण घटना है जो हिंदू-मुस्लिम सद्भाव को प्रदर्शित करती है। हरिद्वार में मुसलमान परिवार शिव भक्तों द्वारा ले जाए जाने वाले कांवरों को सावधानीपूर्वक बनाते हैं, मेले के शुरू होने से महीनों पहले प्रेम के इस श्रम में संलग्न होते हैं।
पुलिस स्पष्टीकरण
मुजफ्फरनगर पुलिस ने स्पष्ट किया कि निर्देश का उद्देश्य भक्तों को सुविधा प्रदान करना था न कि धार्मिक भेदभाव पैदा करना। हालाँकि, इस विवाद ने सांप्रदायिक सद्भाव और संवैधानिक अधिकारों पर व्यापक बहस छेड़ दी है।
इस लेख का उद्देश्य चल रहे विवाद और इसके आसपास के विभिन्न दृष्टिकोणों का एक व्यापक अवलोकन प्रदान करना है।