Noida News/ BT News: महर्षि आश्रम ट्रस्ट को नोएडा के सलारपुर-भंगेल क्षेत्र में दी गई 20 हेक्टेयर से अधिक जमीन लंबे समय से विवादों में घिरी हुई है। आरोप है कि भूमाफियाओं ने फर्जी दस्तावेज बनाकर इस जमीन को बेचने का प्रयास किया और कुछ हिस्सों पर अवैध कॉलोनियां भी बना दीं । हाल ही में पता चला कि सीलिंग भूमि से जुड़ा मामला अब और पेचीदा होता जा रहा है। नोएडा अथॉरिटी ने इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा (7 हेक्टेयर) तीसरे पक्ष को बेच दिया, नोएडा अथॉरिटी पर आरोप है कि उसने इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा बिना वैध रिकॉर्ड के तीसरे पक्ष को बेच दिया, जिस पर अब बहुमंजिला इमारतें बन चुकी हैं। हैरानी की बात यह है कि लेकिन राजस्व विभाग के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। जिससे प्रशासनिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं।
राजस्व विभाग की चुप्पी और शासनादेश की अनदेखी
2022 में यूपी सरकार ने एक शासनादेश जारी कर यह साफ किया था कि कोई भी संस्था अगर 5.0586 हेक्टेयर से अधिक भूमि खरीदती है, तो उसे नियमन के लिए राजस्व विभाग से अनुमति लेनी होगी। इसके लिए सर्किल रेट का 10% शुल्क भी देना होता है। लेकिन महर्षि आश्रम से जुड़ी 11 संस्थाओं को मार्च 2024 में 21.5721 हेक्टेयर भूमि वापस कर दी गई, जिसमें से केवल 11 हेक्टेयर जमीन ही वैध मानी जा रही है।
7 हेक्टेयर जमीन पर बन गई इमारतें, किसके आदेश पर हुआ ट्रांसफर?
सूत्रों का दावा है कि नोएडा अथॉरिटी ने पहले ही 7 हेक्टेयर जमीन निजी बिल्डर्स को दे दी थी, जिन पर अब ऊँची इमारतें खड़ी हैं। जब हाल ही में संस्थाओं के पक्ष में जमीन का नामांतरण (mutation) किया गया, तब जाकर इस अनियमितता का खुलासा हुआ। अब सवाल उठ रहा है कि इस जमीन का वैध स्वामित्व किसके पास था, और किसके आदेश पर यह ट्रांसफर हुई?
कानूनी दायरे में फंसी अथॉरिटी, दस्तावेज पेश करना जरूरी
राजस्व विभाग साफ कर चुका है कि उनके पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है, जिससे यह प्रमाणित हो कि यह जमीन कभी नोएडा अथॉरिटी या उद्योग विभाग को दी गई थी। यदि वैध दस्तावेज नहीं मिले, तो इस जमीन को वापस महर्षि आश्रम से जुड़ी संस्थाओं को लौटाया जा सकता है।
इस केस ने नोएडा के भूमि प्रबंधन की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।