Greater Noida phase- 2 News : दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है, और इससे निपटने के लिए शहरी विकास में हरित पहलुओं को प्राथमिकता दी जा रही है। इसी कड़ी में, ग्रेटर नोएडा के फेज-2 (Greater Noida Phase-2) विस्तार को मंजूरी मिल चुकी है, जो न केवल एक नए शहर का निर्माण करेगा बल्कि पर्यावरण के अनुकूल विकास को भी बढ़ावा देगा। यह शहर मौजूदा ग्रेटर नोएडा से डेढ़ गुना बड़ा होगा और इसमें हरित क्षेत्रों को विशेष महत्व दिया गया है।
ग्रेटर नोएडा फेज-2 का मास्टर प्लान (Master Plan for Greater Noida Phase-2)
ग्रेटर नोएडा फेज-2 (Greater Noida Phase-2) का विकास मास्टर प्लान-2041 के तहत किया जाएगा, जिसमें 33,715.22 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है। इस प्लान के अनुसार, शहर के 25% क्षेत्र (14,192 हेक्टेयर) को उद्योगों के लिए आरक्षित किया गया है, जबकि 9,736.74 हेक्टेयर आवासीय, 5,812.97 हेक्टेयर शैक्षणिक संस्थानों और 2,773 हेक्टेयर कमर्शियल उद्देश्यों के लिए निर्धारित है।

हरित क्षेत्रों का विस्तार
ग्रेटर नोएडा फेज-2 (Greater Noida Phase-2) में हरित क्षेत्रों को विशेष महत्व दिया गया है। कुल क्षेत्र का 16% (7,908.60 हेक्टेयर) ग्रीन एरिया के रूप में विकसित किया जाएगा, जबकि 1,073.96 हेक्टेयर में फॉरेस्ट एरिया बनाया जाएगा। इसके अलावा, शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए 1,422.20 हेक्टेयर में ग्रीन एरिया विकसित किया जाएगा। यह कुल हरित क्षेत्र आवासीय क्षेत्र से भी अधिक होगा।
पर्यावरण के अनुकूल बुनियादी ढांचा
शहर के विकास में पर्यावरण के अनुकूल बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दी गई है। 7,380.56 हेक्टेयर क्षेत्र को परिवहन और सड़कों के लिए आरक्षित किया गया है, जिसमें मल्टीमॉडल ट्रांजिट हब, मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक हब और मेट्रो का विस्तार शामिल है। इसके अलावा, शहर को नोएडा एयरपोर्ट, नोएडा एक्सप्रेसवे, यमुना एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे जैसे प्रमुख सड़कों से जोड़ा जाएगा।
शहर का विस्तार और समावेशी विकास
ग्रेटर नोएडा फेज-2 (Greater Noida Phase-2) का विस्तार हापुड़, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद के 140 गांवों तक होगा। इस शहर को एक समावेशी विकास मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा, जिसमें आवासीय, औद्योगिक, शैक्षणिक और हरित क्षेत्रों के बीच संतुलन बनाया जाएगा।
ग्रेटर नोएडा फेज-2 (Greater Noida Phase-2) एक आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल शहर के रूप में उभरेगा, जो दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण संकट से निपटने में मददगार साबित होगा। इस शहर में हरित क्षेत्रों को विशेष महत्व दिया गया है, जो इसे एक टिकाऊ और जीवंत शहरी केंद्र बनाएगा।