Noida / भारतीय टॉक न्यूज़: नोएडा प्राधिकरण में एक बार फिर भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आने से हड़कंप मच गया है। प्राधिकरण के जन स्वास्थ्य विभाग ने एक एजेंसी के साथ मिलकर कथित तौर पर 3.5 करोड़ रुपये के गलत भुगतान की कोशिश की। यह भुगतान सेक्टर-145 स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट को हटाने के एवज में 27 दिनों के कार्य के लिए किया जाना था, जबकि फाइलों में स्पष्ट रूप से इस अवधि के लिए कोई भी भुगतान न करने के निर्देश थे। मामला पकड़ में आने के बाद सीईओ डॉ. लोकेश एम. ने तत्काल प्रभाव से तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर एक सप्ताह में रिपोर्ट तलब की है।
क्या है पूरा मामला?
सूत्रों के अनुसार, नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर-145 में कूड़े से खाद और मिट्टी बनाने वाले प्लांट के निस्तारण के लिए एक एजेंसी को नियुक्त किया था। एजेंसी को अपना काम 30 अक्टूबर 2022 तक पूरा करना था, जिसे समय पर पूरा कर लिया गया और इसे मंजूरी भी मिल गई।
इसके बाद, एजेंसी ने प्लांट और अपनी मशीनरी को हटाने के लिए 1 नवंबर से 27 नवंबर 2022 तक, यानी 27 दिनों का अतिरिक्त समय मांगा। तत्कालीन सीईओ ने इसकी मंजूरी तो दे दी, लेकिन फाइल की नोटिंग में यह साफ तौर पर लिखा गया कि इन 27 दिनों के कार्य के लिए एजेंसी को किसी भी प्रकार का कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।
ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
मामला 2024 में तब खुला जब भुगतान के लिए फाइल तैयार की गई। जन स्वास्थ्य विभाग के डिविजन स्तर से इन 27 दिनों के कार्य के लिए भी लगभग 3.5 करोड़ रुपये का क्लेम बिल में जोड़ दिया गया। यह दावा मेजरमेंट बुक (एमबी) के पन्नों पर भी दर्ज किया गया। जब यह फाइल भुगतान के लिए प्राधिकरण के अकाउंट्स विभाग में पहुंची, तो वहां के अधिकारियों ने फाइल पर की गई पुरानी नोटिंग को ध्यान से देखा। नोटिंग में स्पष्ट लिखा था कि इन 27 दिनों का कोई भुगतान नहीं होना है। यहीं से इस फर्जीवाड़े की कोशिश का पर्दाफाश हुआ।
सीईओ ने दिए जांच के आदेश
अकाउंट्स विभाग ने तत्काल इसकी सूचना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम. को दी। सीईओ ने प्राथमिक जांच कराई जिसमें नियमों के विरुद्ध जाकर भुगतान कराने की कोशिश की पुष्टि हुई। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीईओ ने एक उच्च-स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया है। इस समिति में एक अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (एसीईओ), एक विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) और एक महाप्रबंधक (जीएम) को शामिल किया गया है। समिति को एक सप्ताह के भीतर अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। आशंका यह भी जताई जा रही है कि मेजरमेंट बुक (एमबी) को बैक डेट में भरा गया हो सकता है, जिसकी पुष्टि जांच के बाद ही हो सकेगी।
इस मामले के सामने आने के बाद जन स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारी सवालों के घेरे में आ गए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि इस साजिश में कौन-कौन शामिल था और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी।
सीईओ का बयान:
इस मामले में तीन सदस्यीय कमेटी को जांच का जिम्मा दिया गया है। एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट देनी होगी। रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। – डॉ. लोकेश एम., सीईओ, नोएडा प्राधिकरण