Noida News/ भारतीय टॉक न्यूज़: नई दिल्ली/नोएडा। नोएडा प्राधिकरण में हुए करोड़ों रुपये के मुआवजा घोटाले की जांच अब तीसरी बार विशेष जांच दल (एसआईटी) करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में एक और एसआईटी जांच के आदेश दिए हैं, जिससे घोटाले में शामिल तत्कालीन अधिकारियों और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यह घोटाला गेझा तिलपताबाद और भूड़ा गांव में किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे में अनियमितता से जुड़ा है, जहां कोर्ट केस में सेटलमेंट के नाम पर भारी फर्जीवाड़ा किया गया।
क्या है पूरा मामला?
यह घोटाला पहली बार वर्ष 2021 में सामने आया, जब गेझा तिलपताबाद गांव में मुआवजा वितरण में गड़बड़ी का खुलासा हुआ। जांच में पता चला कि जिन किसानों को केवल 93.75 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से मुआवजा मिलना था, उन्हें कोर्ट सेटलमेंट की आड़ में 297 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से भुगतान कर दिया गया। यह फर्जीवाड़ा 2009 से 2023 के बीच अंजाम दिया गया, जिसमें 20 किसानों को कोर्ट केस के बाहर सेटलमेंट के नाम पर लगभग 117 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा बांटा गया।
प्राधिकरण के अधिकारियों ने 2014-15 में एक अदालती आदेश का हवाला देकर यह लाभ अन्य किसानों को भी अवैध रूप से दे दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसने 14 सितंबर, 2023 को नोएडा प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश शासन को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि यह घोटाला सिर्फ विधि अधिकारी स्तर पर संभव नहीं है और इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए।
दो SIT जांच में हो चुका है फर्जीवाड़े का खुलासा
इस मामले में पहले भी दो बार एसआईटी का गठन हो चुका है। पहली एसआईटी राजस्व परिषद (Board of Revenue) के चेयरमैन की अध्यक्षता में बनी थी, जबकि दूसरी एसआईटी में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल थे। दोनों ही जांचों में यह बात साबित हो चुकी है कि मुआवजा देने में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। जांच के दौरान 2009 से 2023 के बीच कोर्ट सेटलमेंट और अन्य सेटलमेंट से जुड़े 1186 मामलों की फाइलें खंगाली गईं। इनमें गेझा तिलपताबाद के 12 और भूड़ा गांव के 8 मामलों में अधिक मुआवजा दिए जाने की पुष्टि हुई। इन्हीं प्रकरणों की अब तीसरी बार गहन जांच की जाएगी।
तीसरी SIT के निशाने पर होंगे तत्कालीन अधिकारी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित होने वाली तीसरी एसआईटी भी तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की होगी। इस बार जांच का मुख्य फोकस तत्कालीन प्राधिकरण अधिकारियों की संलिप्तता और उनकी मिलीभगत को उजागर करना होगा। जांच का दायरा अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों तक भी पहुंच सकता है। एसआईटी इन बैंक खातों में हुए लेनदेन की विस्तृत जांच करेगी, ताकि घोटाले की तह तक पहुंचा जा सके।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद प्रदेश सरकार ने पहले भी एसआईटी का गठन किया था और प्राधिकरण स्तर पर तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई थी और वसूली के लिए आरसी (रिकवरी सर्टिफिकेट) भी जारी की गई थी। अब तीसरी जांच से इस घोटाले में दबे कई और राज सामने आने की उम्मीद है।