नोएडा का ‘वृद्धाश्रम’ बना अमानवीय कैदखाना: तहखानों में बंद मिले बुजुर्ग, हाथ बंधी महिला का वीडियो वायरल”

Noida's 'old age home' becomes an inhuman prison: Elderly people found locked in basements, video of woman with her hands tied goes viral"

Partap Singh Nagar
3 Min Read
नोएडा का 'वृद्धाश्रम' बना अमानवीय कैदखाना: तहखानों में बंद मिले बुजुर्ग, हाथ बंधी महिला का वीडियो वायरल"

Noida News/ Bharatiya Talk News: नोएडा सेक्टर-55 स्थित आनंद निकेतन वृद्ध सेवा आश्रम में गुरुवार को राज्य महिला आयोग की टीम ने जब छापेमारी की, तो जो नज़ारा देखा, वो किसी नरक से कम नहीं था। तहखाने जैसे अंधेरे कमरों में पुरुष बुजुर्ग बंद थे, एक महिला के हाथ कपड़े से बंधे हुए थे, और कई बुजुर्ग गंदगी में बीमार हालत में पड़े मिले।

इस कार्रवाई की शुरुआत एक वायरल वीडियो के बाद हुई, जिसमें एक बुजुर्ग महिला को हाथ बांधकर बंद किया गया था। वीडियो लखनऊ स्थित महिला आयोग के मुख्यालय पहुंचा, जिसके बाद तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए गए।

 नोएडा का 'वृद्धाश्रम' बना अमानवीय कैदखाना: तहखानों में बंद मिले बुजुर्ग, हाथ बंधी महिला का वीडियो वायरल"

2.5 लाख डोनेशन और 6000 महीने की फीस के बाद भी नर्क जैसी जिंदगी

जांच में खुलासा हुआ कि इस आश्रम में प्रवेश के लिए 2.5 लाख रुपये डोनेशन और 6,000 रुपये मासिक खर्च लिया जाता था। इसके बावजूद बुजुर्गों को न तो साफ कपड़े मिले, न ही इलाज या देखभाल। आश्रम में कोई प्रशिक्षित स्टाफ नहीं मिला। खुद को नर्स बताने वाली महिला सिर्फ 12वीं पास थी।

यह वृद्धाश्रम 1994 से चल रहा है, लेकिन दस्तावेज मौके पर नहीं दिखाए जा सके। राज्य महिला आयोग की सदस्य मीनाक्षी भराला ने इसे “अमानवीय कैदगृह” बताते हुए तुरंत सभी 39 बुजुर्गों को रेस्क्यू कर सरकारी देखरेख में भेजने के निर्देश दिए।

पंजीकरण पर विवाद, अब होगी कानूनी कार्रवाई

शुरुआत में आश्रम को अपंजीकृत बताया गया, लेकिन बाद में समाज कल्याण विभाग ने बताया कि इसका पंजीकरण नवंबर 2023 में कराया गया था। बावजूद इसके, नियमों की खुली धज्जियां उड़ती दिखीं।

महिला आयोग ने स्पष्ट किया है कि इस मामले में कानूनी कार्रवाई होगी और दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

समाज से सवाल: बुजुर्गों को शांति चाहिए या सजा?

इस मामले ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है—क्या समाज अपने माता-पिता को सिर्फ किसी संस्था के भरोसे छोड़कर अपना दायित्व निभा रहा है? लाखों की फीस और बड़े नाम के बावजूद, अगर बुजुर्गों की यही हालत है, तो ये सोचने का समय है।

 

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