New Delhi/ भारतीय टॉक न्यूज़: पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुआ ऐतिहासिक पारस्परिक रक्षा समझौता मध्य पूर्व की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत तो है ही, लेकिन इसका सीधा असर भारत की रणनीतिक गणनाओं पर भी पड़ेगा। “एक पर हमला, दोनों पर हमला” की शर्त वाला यह समझौता, भारत के पड़ोसी पाकिस्तान को एक शक्तिशाली खाड़ी देश का सैन्य सहयोगी बनाता है, जिससे क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदलने की आशंका है।
भारत के लिए रणनीतिक चिंताएं
भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है कि यह समझौता पाकिस्तान को एक नया रणनीतिक बल प्रदान कर सकता है। पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध ऐतिहासिक रूप से तनावपूर्ण रहे हैं, खासकर आतंकवाद और कश्मीर के मुद्दे पर। इस समझौते के बाद, किसी भी संघर्ष की स्थिति में सऊदी अरब का पाकिस्तान को मिलने वाला संभावित सैन्य, आर्थिक और कूटनीतिक समर्थन भारत के लिए एक नई चुनौती होगी। यह समझौता पाकिस्तान को भारत के खिलाफ अधिक आक्रामक रुख अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है, यह जानते हुए कि उसके पीछे सऊदी अरब जैसा शक्तिशाली देश खड़ा है।
कूटनीतिक संतुलन की चुनौती
पिछले एक दशक में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और अन्य खाड़ी देशों के साथ अपने संबंधों को अभूतपूर्व रूप से मजबूत किया है। यह संबंध व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा और लाखों भारतीय प्रवासियों के हितों पर आधारित हैं। अब, इस नए रक्षा समझौते के बाद, भारत को एक जटिल कूटनीतिक संतुलन साधना होगा। नई दिल्ली को अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए सऊदी अरब के साथ अपने मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखना होगा, जबकि साथ ही पाकिस्तान के साथ सऊदी अरब के इस नए सैन्य गठजोड़ के प्रभावों का भी मुकाबला करना होगा।
बदलता भू-राजनीतिक परिदृश्य
यह समझौता मध्य पूर्व में अमेरिका पर निर्भरता कम करने और एक नए क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे के उदय का भी संकेत है। भारत, जो एक स्वतंत्र और बहु-ध्रुवीय विदेश नीति का पालन करता है, को इस बदलते परिदृश्य को सावधानी से समझना होगा। जहां एक ओर भारत अमेरिका, इज़रायल और यूएई के साथ I2U2 जैसे समूहों का हिस्सा है, वहीं दूसरी ओर उसे पाकिस्तान-सऊदी अरब-तुर्की के संभावित गठजोड़ से उत्पन्न चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा। भारत को इस बदलते परिदृश्य में अपने हितों की रक्षा के लिए अपनी कूटनीति को और भी अधिक सक्रिय और व्यवहारिक बनाना होगा, साथ ही अपने सहयोगियों के साथ संबंधों को और गहरा करना होगा।