Greater Noida News ; ग्रेटर नोएडा में नोएडा एयरपोर्ट का निर्माण कर रही ज्यूरिख कंपनी ने मिराज और राफेल विमानों के मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (एमआरओ) हब को विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। कंपनी ने एमआरओ हब के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी किया है, जिसके माध्यम से विभिन्न कंपनियों से आवेदन मांगे गए हैं। यह कदम भारत की विमानों के रखरखाव में विदेशी निर्भरता को कम करने के लिए उठाया गया है।
दो एमआरओ हब का निर्माण
भारत में विमानों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल के लिए वर्तमान में अमेरिका, चीन और सिंगापुर जैसी देशों पर निर्भरता है। इसे समाप्त करने के लिए एयरपोर्ट के आसपास दो एमआरओ हब विकसित किए जाएंगे। पहले एमआरओ का निर्माण 40 एकड़ में किया जाएगा, जबकि दूसरे एमआरओ का क्षेत्रफल 1365 हेक्टेयर होगा। इसके लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।
बढ़ती विमान संख्या और मरम्मत की आवश्यकता
भारत में वर्तमान में 713 विमान हैं, और 2031 तक इनकी संख्या बढ़कर 1522 होने की उम्मीद है। विमानों के रखरखाव पर 12 से 15 प्रतिशत तक खर्च आता है, और हर 1500 से 6000 घंटे की उड़ान के बाद इन्हें मरम्मत की आवश्यकता होती है। ऐसे में एयरपोर्ट पर एमआरओ का निर्माण विमानों की मरम्मत और रखरखाव को सुविधाजनक बनाएगा।
एयरपोर्ट का विकास और भविष्य की योजनाएं
नोएडा एयरपोर्ट से दिसंबर 2023 में उड़ानें शुरू होने की योजना है, और 2025 में दूसरे रनवे का निर्माण किया जाएगा। इस रनवे के माध्यम से सालाना 80 मिलियन टन एयर कार्गो के आयात और निर्यात का लक्ष्य रखा गया है। भारत की एविएशन सेक्टर में 15 वर्षों में 7 प्रतिशत तक ग्रोथ की संभावना को ध्यान में रखते हुए एयरपोर्ट की सुविधाओं का विकास किया जा रहा है।
कंपनियों के लिए लाभकारी अवसर
एमआरओ के निर्माण के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों को विभिन्न लाभ दिए जाएंगे। 500 करोड़ के निवेश पर 5 प्रतिशत, 500 से 1000 करोड़ के निवेश पर 8 प्रतिशत और 1000 करोड़ से अधिक के निवेश पर 12 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। भारतीय एमआरओ बाजार की वर्तमान स्थिति लगभग 1.7 बिलियन डॉलर है, जो 2031 तक 4 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विमानों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल के लिए एमआरओ का निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगा, बल्कि देश के एविएशन सेक्टर को भी मजबूती प्रदान करेगा। डॉ. अरुणवीर सिंह, सीईओ ने इस पहल के महत्व को रेखांकित किया है और कंपनियों को 31 दिसंबर तक आवेदन करने का अवसर दिया है।