Wakf Amendment Bill News / भारतीय टॉक न्यूज़: 5 अप्रैल 2025 को एक ऐतिहासिक कदम में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को अपनी मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही यह विधेयक अब कानून बन गया है और पूरे देश में लागू होगा। वक्फ संशोधन बिल को लेकर लंबे समय से चर्चा और विवाद चल रहा था, जिसके बाद इसे लोकसभा और राज्यसभा में व्यापक बहस के बाद पारित किया गया था। यह नया कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने के उद्देश्य से लाया गया है। आइए, इस कानून की पूरी जानकारी, इसके प्रावधानों और प्रभावों को विस्तार से समझते हैं।

विधेयक का संसदीय सफर
वक्फ (संशोधन) विधेयक को सबसे पहले 8 अगस्त 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में पेश किया था। विपक्ष के विरोध और गहन चर्चा के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया। जेपीसी ने अपनी 655 पेज की रिपोर्ट में 14 संशोधनों का सुझाव दिया, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19 फरवरी 2025 को मंजूरी दी। इसके बाद, 2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में 12 घंटे की बहस के बाद बिल को 288 के मुकाबले 232 वोटों से पारित किया गया। फिर 3 अप्रैल 2025 को राज्यसभा में 12 घंटे की चर्चा के बाद 128 के मुकाबले 95 वोटों से इसे मंजूरी मिली। अंततः, राष्ट्रपति की सहमति के साथ यह 5 अप्रैल 2025 को कानून बन गया।
नए कानून के प्रमुख प्रावधान
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 में कई महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को आधुनिक और पारदर्शी बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:
1. गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति : केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनिवार्य किया गया है।
2. महिला प्रतिनिधित्व : बोर्ड और परिषद में कम से कम दो महिलाओं की नियुक्ति सुनिश्चित की गई है, जिससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।
3. कलेक्टर की भूमिका : वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण और स्वामित्व निर्धारण अब जिला कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र में होगा।
4. हाईकोर्ट में अपील : ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ अब हाईकोर्ट में अपील की जा सकेगी, जो पहले संभव नहीं था।
5. पारदर्शिता : सभी वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण ऑनलाइन पोर्टल पर अनिवार्य होगा, जिससे अवैध कब्जे और कुप्रबंधन पर रोक लगेगी।
6. वक्फ की परिभाषा में बदलाव : केवल वही संपत्ति वक्फ मानी जाएगी, जो कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन करने वाले व्यक्ति द्वारा दान की गई हो।
सरकार का उद्देश्य और दावा
केंद्र सरकार का कहना है कि यह कानून वक्फ बोर्डों के कामकाज में पारदर्शिता लाने, महिलाओं और पिछड़े मुस्लिम समुदायों को प्रतिनिधित्व देने, और संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए लाया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा, “अब कोई भी जमीन केवल घोषणा से वक्फ संपत्ति नहीं बन सकती। यह कानून पुरातत्व विभाग, आदिवासी समुदायों और आम नागरिकों की संपत्तियों को सुरक्षित करेगा।” केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी दावा किया कि यह विधेयक किसी समुदाय के अधिकारों को छीनने के लिए नहीं, बल्कि प्रशासनिक सुधार के लिए है।
विपक्ष का विरोध और विवाद
विपक्षी दलों, जैसे कांग्रेस, टीएमसी, सपा और AIMIM ने इस बिल का कड़ा विरोध किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे “मुसलमानों के खिलाफ हथियार” करार दिया, जबकि AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे असंवैधानिक बताया। विपक्ष का आरोप है कि यह कानून वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कम कर सरकारी नियंत्रण बढ़ाएगा। कई मुस्लिम संगठनों, जैसे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, ने भी इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला माना। इसके खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए, और अब सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती देने की तैयारी चल रही है।
वक्फ बोर्ड और संपत्तियों का महत्व
भारत में लगभग 32 वक्फ बोर्ड हैं, जो 8.7 लाख संपत्तियों और 9.4 लाख एकड़ जमीन का प्रबंधन करते हैं। इनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है। यह रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा रियल एस्टेट मालिक है। वक्फ संपत्तियों का उपयोग मस्जिदों, कब्रिस्तानों, शिक्षण संस्थानों और गरीबों की सहायता के लिए किया जाता है। हालांकि, कुप्रबंधन और अवैध कब्जे की शिकायतें लंबे समय से चली आ रही थीं, जिसे यह कानून संबोधित करने का दावा करता है।
आगे की राह और प्रभाव
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद केंद्र सरकार अब इस कानून को लागू करने के लिए नियम और दिशानिर्देश तैयार करेगी। गजट नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही यह प्रभावी हो गया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाएं इसके भविष्य पर सवाल उठा रही हैं। यह कानून वक्फ बोर्डों के कामकाज में सुधार लाएगा या विवाद को और बढ़ाएगा, यह आने वाला समय बताएगा।