प्रधानमंत्री मोदी 50 वें जी- 7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने को इटली पहुंच गए जहा पर इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मिलोनी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने मेजबान इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के निमंत्रण पर 13 जून से 15 जून तक चलने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
जी 7 में दिखी भारत की ताकत :
जी 7 में शामिल सभी देशों के प्रमुखों ने शिखर सम्मेलन के दौरान एक सामूहिक फोटो भी खिंचवाया, इस फोटो की विशेषता यह रही कि इसमें सबसे बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रख कर जी 7 के सभी देशों ने भारत को सम्मान दिया, यह भारत की उभरती वैश्विक प्रतिष्ठा को प्रदर्शित करता है।
आपको बता दे भारत जी- 7 का हिस्सा नहीं है लेकिन विश्व में भारत के बढ़ते महत्वपूर्ण स्थान को देखते हुए भारत के प्रधानमंत्री को विशेष रूप से इसके सम्मेलन में आमंत्रित किया है
जी 7 क्या है :
जी – 7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन, अमरीका और यूरोप शामिल है. इसे ग्रुप ऑफ़ सेवन भी कहते हैं.
जी 7 का यह 50 वा शिखर सम्मेलन है जो इटली में आयोजित हो रहा है जी 7 का सम्मेलन प्रत्येक वर्ष आयोजित होता है और इसके 7 सदस्य बारी बारी से एक क्रम अनुसार इसकी मेजबानी करते है इस बार इसकी मेजबानी इटली कर रहा है।
जी 7 2024 का एजेंडा क्या है :
इटली में होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन कई कारणों से महत्वपूर्ण है.
सबसे पहले इसका उद्देश्य दुनिया में बढ़ती मंहगाई और व्यापार से जुड़ी चिंताओं के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए आर्थिक नीतियों को कोऑर्डिनेट करना है.
दूसरा, इस शिखर सम्मेलन में कार्बन उत्सर्जन को कम करने और सस्टेनेबेल एनर्जी को बढ़ावा देने की रणनीति होगी और जलवायु परिवर्तन से निपटने पर ध्यान फोकस किया जाएगा.
तीसरा मुद्दा होगा वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाना क्योंकि कोविड19 के बाद ये बात और साफ़ हुई की इस तरह के स्वास्थ्य आपातकाल के लिए सिस्टम को और बेहतर बनाना होगा.
इसके अलावा सम्मेलन में भू-राजनीतिक तनावों, चीन और रूस सहित ग़ज़ा और यूक्रेन युद्ध भी चर्चा की जाएगी.
जी 7 की शुरुवात कैसे हुई :
1970 के दशक में, विकसित देशों ने निक्सन शॉक (1971) और पहले तेल संकट (1973) जैसी विभिन्न चुनौतियों का सामना किया, जिससे एक नेता के स्तर पर मैक्रो अर्थव्यवस्था, मुद्रा, व्यापार और ऊर्जा के नीति समन्वय पर व्यापक रूप से चर्चा करने के लिए एक मंच बनाने की आवश्यकता को पहचानना शुरू किया।
तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति गिस्कार्ड डी’स्टैंग द्वारा प्रस्तावित, पहला शिखर सम्मेलन नवंबर 1975 में चेटो डी रामबोइलेट (पेरिस के बाहरी इलाके में स्थित) में आयोजित किया गया था, जिसमें छह देशों फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, जापान और इटली की भागीदारी थी। तब से, हर साल शिखर सम्मेलनों का आयोजन किया जाता रहा है, जिसमें अध्यक्षता बदलती रहती है।