Greater Noida West / भारतीय टॉक न्यूज़ : ग्रेटर नोएडा वेस्ट का सादुल्लापुर गांव, जिसे 2015 में स्मार्ट गांव के रूप में विकसित करने का सपना दिखाया गया था, आज टूटी सड़कों और अव्यवस्था के कारण सुर्खियों में है। इस गांव के बच्चे हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं। एक समय में बुनियादी सुविधाओं और आधुनिक विकास का वादा किया गया था, लेकिन आज यह गांव उपेक्षा का शिकार होकर रह गया है। यह लेख सादुल्लापुर की वर्तमान स्थिति, इसके इतिहास और समस्याओं के कारणों पर प्रकाश डालता है।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सादुल्लापुर में बच्चे टूटी सड़कों पर जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर।
सादुल्लापुर जिसे 2015 में स्मार्ट गांव घोषित किया गया था, आज टूटी सड़कों और अव्यवस्था का शिकार है।@OfficialGNIDA @myogiadityanath #GreaterNoida @BTalknews pic.twitter.com/XVgveLWUeD— Partap Singh ” BharatiyaTalk News” (@partap_nagar) February 21, 2025
स्मार्ट गांव की घोषणा: 2015 का वादा
2015 में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने सादुल्लापुर सहित 14 गांवों को स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित करने की योजना बनाई थी। इस योजना के तहत सड़क, ड्रेनेज, सीवरेज, जलापूर्ति, बिजली, सामुदायिक केंद्र और स्कूल जैसी सुविधाएं देने का लक्ष्य था। सादुल्लापुर को एक मॉडल गांव बनाने की बात कही गई थी, जहां ग्रामीण जीवन में शहरी सुविधाओं का समावेश हो। उस समय यह घोषणा स्थानीय लोगों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आई थी, लेकिन दस साल बाद भी यह सपना अधूरा ही रहा।
टूटी सड़कों का संकट: बच्चों की जान पर खतरा

आज सादुल्लापुर की सड़कें इस कदर जर्जर हो चुकी हैं कि बच्चों का स्कूल जाना तक मुश्किल हो गया है। गड्ढों से भरी सड़कों पर पैदल चलना खतरनाक है, और बारिश के दिनों में जलभराव की समस्या इसे और गंभीर बना देती है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि ये टूटी सड़कें न केवल बच्चों के लिए खतरा हैं, बल्कि रोजमर्रा के आवागमन को भी प्रभावित करती हैं। कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ रहा है।
अव्यवस्था के कारण: वादों से हकीकत तक
स्मार्ट गांव योजना के तहत सादुल्लापुर में सुधार कार्य शुरू तो हुए, लेकिन अधूरे रह गए। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने चार गांवों की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की थी, जिसमें सादुल्लापुर भी शामिल था। हालांकि, टेंडर प्रक्रिया और फंडिंग में देरी के कारण काम रुक गया। इसके अलावा, रखरखाव की कमी और प्रशासनिक उदासीनता ने स्थिति को और बदतर बना दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि प्राधिकरण ने उनके गांव को भुला दिया है, जबकि स्मार्ट गांव का तमगा केवल कागजों तक सीमित रह गया।
स्थानीय लोगों की मांग: कार्रवाई की जरूरत
सादुल्लापुर के निवासी अब प्राधिकरण से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी उनकी आवाज उठ रही है, जहां लोग टूटी सड़कों की तस्वीरें साझा कर प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि बच्चों की सुरक्षा और गांव की बेहतरी के लिए सड़कों की मरम्मत, ड्रेनेज सिस्टम और बुनियादी सुविधाएं जरूरी हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से गुहार लगाई जा रही है कि स्मार्ट गांव के वादे को हकीकत में बदला जाए।
सपनों को सच करने की चुनौती
सादुल्लापुर की स्थिति ग्रेटर नोएडा वेस्ट के विकास मॉडल पर सवाल उठाती है। एक ओर जहां ऊंची इमारतें और आधुनिक सोसाइटियां बन रही हैं, वहीं दूसरी ओर गांव अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। स्मार्ट गांव का सपना तब तक अधूरा रहेगा, जब तक ठोस कदम नहीं उठाए जाते। अब यह ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की जिम्मेदारी है कि वह सादुल्लापुर के बच्चों और निवासियों को सुरक्षित और बेहतर भविष्य दे। समय आ गया है कि वादों को अमल में लाया जाए और टूटी सड़कों को सुधारकर इस गांव को उसका हक दिलाया जाए।