सादुल्लापुर गांव नाम विवाद: पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पहुंची गूंज, गांव आने का दिया आश्वासन

Sadullapur village name dispute: Echo reached former Chief Minister Akhilesh Yadav, assured to visit the village

Partap Singh Nagar
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सादुल्लापुर गांव नाम विवाद: पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पहुंची गूंज, गांव आने का दिया आश्वासन

Greater Noida/ भारतीय टॉक न्यूज़: ग्रेटर नोएडा के सादुल्लापुर गांव का नाम बदलने को लेकर चल रहा विवाद अब लखनऊ के राजनीतिक गलियारों तक पहुंच गया है। गांव के कुछ लोगों द्वारा नाम बदलने की मुहिम के खिलाफ उपजे इस विरोध में अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भी एंट्री हो गई है। सपा युवजन सभा के अध्यक्ष और गांव के निवासी दीपक नागर ने अपने साथियों के साथ अखिलेश यादव से मुलाकात कर उन्हें पूरे मामले से अवगत कराया, जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए ग्रामीणों को पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया है।

पंचायत में दिखा था ग्रामीणों का गुस्सा

 

यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब गांव के कुछ लोगों ने स्थानीय विधायक को एक पत्र सौंपकर सादुल्लापुर का नाम बदलने की मांग की। इस मांग की खबर फैलते ही गांव के अधिकांश लोगों में भारी नाराजगी फैल गई। इसी विरोध को दर्ज कराने के लिए बीते रविवार को गांव में एक विशाल पंचायत का आयोजन किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने एकजुट होकर नाम बदलने के किसी भी प्रयास का पुरजोर विरोध किया था। पंचायत में मौजूद लोगों ने स्पष्ट चेतावनी दी थी कि यदि उनकी भावनाओं के विरुद्ध जाकर नाम बदलने की कोशिश की गई तो वे एक बड़ा आंदोलन करने को विवश होंगे।

अखिलेश यादव ने दिया समर्थन का भरोसा

ग्रामीणों के विरोध को राजनीतिक समर्थन देते हुए सपा युवजन सभा के अध्यक्ष दीपक नागर और हैप्पी पंडित ने लखनऊ में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की। दीपक नागर ने बताया कि उन्होंने अखिलेश यादव को विस्तार से जानकारी दी कि कैसे कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए गांव की पहचान और सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इस पर अखिलेश यादव ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी इस लड़ाई में पूरी तरह से गांव वालों के साथ खड़ी है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि यदि आवश्यकता पड़ी तो वह स्वयं सादुल्लापुर गांव का दौरा करेंगे और ग्रामीणों से मिलकर उनके संघर्ष में शामिल होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद यह स्थानीय मुद्दा अब एक बड़ा राजनीतिक रूप ले चुका है।

 

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