Noida / भारतीय टॉक न्यूज़: नोएडा में गेझा तिलपताबाद और भूड़ा गांवों में अतिरिक्त मुआवजा वितरण में 100 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की आशंका है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित नई एसआईटी (विशेष जांच दल) ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। इस जांच में 2013 के बाद के प्राधिकरण के कई अधिकारी रडार पर हैं, जिनमें सीईओ और एसीईओ स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने 18 फरवरी 2025 को नोएडा प्राधिकरण के दफ्तर का दौरा किया। एसआईटी ने करीब छह घंटे तक प्राधिकरण में रहकर लैंड एक्विजिशन प्रक्रिया और मुआवजा वितरण से संबंधित फाइलों का अध्ययन किया।
1198 फाइलों की दोबारा जांच
एसआईटी ने 2009 से 2023 तक के 15 वर्षों में हुए मुआवजा वितरण से जुड़ी 1198 फाइलों की दोबारा जांच शुरू की है। इन फाइलों में अनियमितताओं का पता चला है, जिससे प्राधिकरण को करीब 117 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जांच में पाया गया कि कुछ अधिकारियों ने किसानों से मिलीभगत करके अतिरिक्त मुआवजा वितरित किया।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और एसआईटी का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। कोर्ट ने पहले की जांच रिपोर्ट से असंतोष जताया था, क्योंकि इसमें केवल दो-तीन अधिकारियों की संलिप्तता दिखाई गई थी। कोर्ट का मानना था कि यह एक बड़ा घोटाला है और इसमें प्राधिकरण के कई अधिकारी शामिल हो सकते हैं।
एसआईटी जांच की शुरुआत:
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित एसआईटी ने मंगलवार को नोएडा प्राधिकरण के दफ्तर पहुंचकर मामले से संबंधित फाइलों की जांच की। एसआईटी में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एसबी शिराडकर, सीबीसीआईडी के आईजी मोदक राजेश डी राव और विशेष रेंज सुरक्षा बटालियन, गौतमबुद्ध नगर के कमांडेंट हेमंत कुटियाल शामिल हैं।
जांच का दायरा:
एसआईटी यह समझने की कोशिश कर रही है कि अतिरिक्त मुआवजे के मामले में किस तरह से गड़बड़झाला किया गया। उन्होंने कुछ सैंपल फाइलें मंगवाई और उनकी जांच की। बताया जा रहा है कि अगली जांच में आरोपियों से जुड़ी मुख्य फाइलों की जांच होगी।
अधिकारियों की भूमिका:
इस मामले में 2013 के बाद के प्राधिकरण के अधिकारी रडार पर हैं। मुआवजा वितरण मामले में इन पर गाज गिर सकती है। इसमें सीईओ, एसीईओ स्तर के अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।
पुरानी एसआईटी की रिपोर्ट:
इससे पहले पुरानी एसआईटी की जांच से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं हो पाया था। कोर्ट का मानना था कि इस मामले में कई अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों की भी संलिप्तता है। कोर्ट ने पुरानी एसआईटी की रिपोर्ट को दरकिनार कर दिया था।
100 करोड़ से अधिक के गड़बड़झाले की आशंका:
जांच में पाया गया कि नोएडा प्राधिकरण ने किसानों को उनके हक से अधिक मुआवजा दिया है। शुरुआत में यह आंकड़ा 80 करोड़ रुपये था, लेकिन एसआईटी की जांच में यह बढ़कर 117 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसमें कई किसानों के परिवारों को मोहरे के तौर पर इस्तेमाल किया गया।
आगे की जांच और संभावित कार्रवाई
एसआईटी ने अब तक 20 मामलों में अनियमितताएं पाई हैं, जिनमें गेझा तिलपताबाद और भूड़ा गांव के किसानों को अतिरिक्त मुआवजा दिया गया। आगे की जांच में आरोपियों से जुड़ी मुख्य फाइलों की जांच की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
नोएडा प्राधिकरण में अतिरिक्त मुआवजा घोटाला एक गंभीर मामला है, जिसमें करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी की जांच से यह स्पष्ट होगा कि किन अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस घोटाले को अंजाम दिया। आगे की कार्रवाई इस जांच रिपोर्ट पर निर्भर करेगी।